शिष्या से दुष्कर्म के मामले में पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ अदालत ने शुक्रवार को गैरजमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया है। मुकदमे में अदालत में पेश न होने के कारण गैरजमानती वारंट जारी किया गया है। इससे पहले भी अदालत ने वारंट पर कार्रवाई न करने पर इंस्पेक्टर को फटकार लगाई थी।

पूर्व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री एवं मुमुक्षु आश्रम के अधिष्ठाता चिन्मयानंद पर उनकी शिष्या ने 2011 में दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया था। 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने केस वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की थी मगर पीड़िता के आपत्ति जताने पर अदालत ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया था। साथ ही जमानती वारंट भी जारी कर दिया था। इसके बाद चिन्मयानंद ने कार्यवाही रोकने के लिए हाईकोर्ट में अपील कर स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया था। बाद में हाईकोर्ट से पत्रावली शाहजहांपुर अदालत में आने पर केस ने रफ्तार पकड़ी है। 

चिन्मयानंद न अदालत में हाजिर हुए और न ही अपनी जमानत कराई। एमपीएमएल कोर्ट/एसीजेएम तृतीय ने तीन महीने पहले भी चिन्मयानंद के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था। ढुलमुल रवैये पर चौक कोतवाली इंस्पेक्टर को भी अदालत ने फटकारा था। शुक्रवार को चिन्मयानंद की ओर से दो वकीलों ने वारंट के खिलाफ बहस की। अदालत ने सख्ती दिखाते हुए फिर से गैरजमानती वारंट जारी किया है।