प्रदेश में घटते भूजल स्तर को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन हार्वेस्टिंग लागू करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अनिवार्य होगी और इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
साथ ही, मुख्यमंत्री ने प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से 15 जून तक कुम्हारों को तालाबों से मुफ्त मिट्टी निकालने की छूट देने का निर्देश दिया, ताकि तालाबों को वाटर रिचार्ज के लिए तैयार किया जा सके।
शनिवार को अपने सरकारी आवास पर नमामि गंगे और ग्रामीण जलापूर्ति विभाग की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने जल संकट को गंभीर चुनौती बताया। उन्होंने चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप के निर्माण एवं जीर्णोद्धार को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। इसके तहत प्रदेश में अब तक 6,448 चेकडैम बनाए जा चुके हैं, जिनसे 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचाई क्षमता पैदा हुई है और प्रति वर्ष 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है।
बैठक में यह भी जानकारी दी गई कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों का डी-सिल्टिंग और मरम्मत कार्य किया गया है। 16,610 तालाबों में से 1,343 का जीर्णोद्धार किया गया है, और 6,192 ब्लास्टकूपों के जरिए 18,576 हेक्टेयर सिंचाई क्षमता सृजित की गई है। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हर जिले में तालाब, ब्लास्टकूप और चेकडैम की फोटोग्राफिक डॉक्यूमेंटेशन की जाए और सोशल मीडिया व स्थानीय जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनता को जागरूक किया जाए।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 2017 में प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे, लेकिन जल संरक्षण प्रयासों के चलते अब ये घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि भविष्य में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास करें।