उत्तर प्रदेश में विधायकों की तनख्वाह करीब नौ साल के बाद बढ़ाई गई है। पहले विधायकों की बेसिक सैलरी 25 हजार रुपये थी, जिसे अब 35 हजार रुपये कर दिया गया है। वहीं, मंत्रियों की बेसिक सैलरी 40 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है।
सिर्फ बेसिक सैलरी ही नहीं, बल्कि अन्य भत्तों में भी वृद्धि की गई है। विधायकों का निर्वाचन भत्ता 50 हजार रुपये से बढ़ाकर 75 हजार रुपये किया गया है। रेलवे कूपन की राशि, जो पहले सवा चार लाख रुपये तक थी, अब बढ़कर 5 लाख रुपये हो गई है।
दैनिक सत्र भत्ता 2 हजार रुपये से बढ़ाकर 2,500 रुपये और जनसेवा कार्य के लिए दैनिक भत्ता 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये किया गया है। सचिवीय भत्ता अब 20 हजार रुपये की बजाय 30 हजार रुपये और चिकित्सा भत्ता 30 हजार की जगह 45 हजार रुपये होगा। इसके अलावा विधायकों को टेलीफोन भत्ता 6 हजार की बजाय 9 हजार रुपये मिलेगा।
देश में सबसे अधिक और न्यूनतम सैलरी वाले राज्य
साल 2024 के आंकड़ों के अनुसार, देश में सबसे अधिक विधायकों की तनख्वाह तेलंगाना में थी, जहां यह 3 लाख रुपये प्रति माह थी। 2 लाख रुपये से अधिक सैलरी वाले अन्य राज्य हैं केरल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश।
1 से डेढ़ लाख रुपये मासिक सैलरी वाले राज्यों में ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश शामिल हैं।
वहीं, जिन राज्यों में विधायकों की तनख्वाह 1 लाख रुपये से कम थी, उनमें बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल हैं। सबसे कम सैलरी त्रिपुरा में है, जहां विधायकों को मात्र 50 हजार रुपये प्रति माह मिलते हैं। इस तरह, देश में विधायकों की मासिक सैलरी न्यूनतम 50 हजार रुपये से लेकर अधिकतम 3 लाख रुपये तक है।