बरेली में 26 सितंबर को हुए दंगों के मामले में मौलाना तौकीर रजा के समर्थकों और करीबियों की तलाश जोरों पर है। पुलिस ने करीब 350 संदिग्धों के मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर रखा है, ताकि उनकी लोकेशन का पता लगाया जा सके। इसके साथ ही 117 सोशल मीडिया अकाउंट की जांच की जा रही है, जिनमें भड़काऊ पोस्ट और वीडियो शेयर किए गए थे।
पुलिस के अनुसार, दंगों के दौरान भीड़ का नेतृत्व आईएमसी के पदाधिकारी, सक्रिय सदस्य और मौलाना के करीबी कर रहे थे। कुछ आरोपी मुकदमों में नामजद हैं, जबकि बाकी की पहचान फोटो और वीडियो के माध्यम से की गई। आरोपियों और उनके मददगारों की अवैध संपत्तियों पर बुलडोजर चलाने की तैयारी भी की जा रही है।
शहर से भागने वाले आरोपियों की तलाश में टोल प्लाजा, रेलवे स्टेशन और बस अड्डों के सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की जा रही है। पुलिस का मानना है कि कई आरोपी कार और बाइक से फरार हुए होंगे।
पुलिस ने लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम के तहत कई मुकदमों में आरोपियों पर केस दर्ज किया है। दंगों के दौरान पुलिस उपकरण, बैरिकेड, दुकानों और वाहनों को नुकसान पहुंचाया गया था। कोतवाल अमित पांडेय ने कहा कि आईएमसी द्वारा बुलाई गई भीड़ ने ये नुकसान किया, इसलिए इसकी भरपाई उसी संगठन से कराई जाएगी।
पुलिस ने आरोपियों की सूची बीडीए को भी भेज दी है। बीडीए ने कहा कि यदि निर्माण मानचित्र के विपरीत हुआ है तो संबंधित संपत्तियों पर कार्रवाई की जाएगी। जेल में बंद तीन आरोपियों—फरहत खां, डॉ. नफीस और अनीस सकलैनी—की संपत्तियों की सूची बनाई जा चुकी है, जिसमें होटल, मैरिज हॉल, शोरूम और आवासीय भवन शामिल हैं।
एडीजी जोन रमित शर्मा ने कहा कि पुलिस की कार्रवाई से जनता का भरोसा बढ़ा है और जल्द ही माहौल सामान्य होगा। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा, जबकि निर्दोषों को कोई परेशानी नहीं होगी।
भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने मीडिया से कहा कि शहर में बवाल के मास्टरमाइंड और उसके पीछे की साजिश का पता लगाने के लिए राष्ट्रीय एजेंसी से जांच कराई जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे घटनाओं को रोका जा सके।