केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में निशुल्क इलाज की व्यवस्था अभी भी अधूरी

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में शुरुआती 24 घंटे के निशुल्क इलाज की व्यवस्था अब भी पूरी तरह लागू नहीं हो पाई है। प्रदेश सरकार ने इसके लिए दो साल में केजीएमयू को 50 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की, लेकिन विश्वविद्यालय ने इसमें से मात्र 34 लाख रुपये ही खर्च किए हैं।

सरकार की योजना ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीजों को बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की है। वित्तीय वर्ष 2023-24 से सालाना 25 करोड़ रुपये की राशि केजीएमयू को दी जाने लगी थी। दो साल में कुल 50 करोड़ रुपये में से केवल 14.09 लाख रुपये वित्तीय वर्ष 2023-24 और 19.92 लाख रुपये वित्तीय वर्ष 2024-25 में ही खर्च हुए।

इस खर्च का उपयोग भी केवल मरीजों को गिनी-चुनी दवाएं देने तक ही सीमित रहा। अन्य जांच और इलाज का खर्च मरीजों को स्वयं वहन करना पड़ता है। वर्तमान में ट्रॉमा सेंटर में गरीब और आयुष्मान कार्डधारकों को ही निशुल्क इलाज मिलता है। जिनके पास कोई कार्ड नहीं है, उन्हें केवल सीमित मात्रा में और चुनिंदा सुविधाएं दी जाती हैं।

रोजाना 400 मरीज आते हैं
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में लगभग 400 मरीज रोजाना आते हैं। महीने में यह संख्या लगभग 12 हजार और सालभर में डेढ़ लाख तक पहुँच जाती है। इनमें से कुछ को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी जाती है या अन्य विभागों/अस्पतालों में रेफर किया जाता है। औसतन 150 मरीज रोजाना भर्ती किए जाते हैं।

अन्य संस्थानों में पूरी व्यवस्था
राजधानी के डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की इमरजेंसी और संजय गांधी पीजीआई के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में शुरुआती 24 घंटे का इलाज पूरी तरह निशुल्क होता है। इसमें मुख्य दवाएं और सभी जांच शुल्क शामिल हैं।

शुरुआती इलाज पर ज्यादा खर्च
दुर्घटना के बाद शुरुआती इलाज महंगा होता है। ट्रॉमा प्रोटोकॉल के अनुसार सभी मरीजों का सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे अनिवार्य हैं। इसके अलावा खून संबंधी जांच होती है। शुरुआती जांच के बाद इलाज की दिशा तय होती है और मुख्य खर्च दवाओं पर आता है।

केजीएमयू के प्रवक्ता प्रो. केके सिंह ने कहा कि ट्रॉमा सेंटर में मरीजों की संख्या अन्य अस्पतालों की तुलना में अधिक रहती है। सभी मरीजों को दवाएं निशुल्क दी जाती हैं। जांच को भी निशुल्क करने के लिए नए सिरे से योजना बनाना आवश्यक होगा। फिलहाल विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से जरूरतमंद मरीजों को इलाज निशुल्क उपलब्ध कराया जाता है।

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