जौनपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और कथा वाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज के बीच चल रहे बयानवीर विवाद ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। जौनपुर की मछलीशहर से समाजवादी पार्टी की सांसद प्रिया सरोज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए पूरे मामले को नई हवा दे दी है।

प्रिया सरोज ने अपने पोस्ट में लिखा, "जब कोई बाबा भगवान कृष्ण का पहला नाम तक नहीं बता पाता, तो अपनी छवि बचाने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को हिंदू-मुस्लिम विवाद से जोड़कर देश और प्रदेश का माहौल खराब करता है। यही बातें प्रवचनों में सिखाई जा रही हैं।" इसके साथ ही उन्होंने अनिरुद्धाचार्य महाराज की एक तस्वीर भी साझा की है।

https://twitter.com/PriyaSarojMP/status/1945744880073949426?t=lwXuSSNfJ0xpUKDekajIhg&s=19

उनकी इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। कई यूजर्स ने इसे ‘सत्य की आवाज’ कहा, तो कुछ लोगों ने इसे संत समुदाय के विरुद्ध बताया। राजनीतिक हलकों में इस बयान को अनिरुद्धाचार्य पर सीधा निशाना माना जा रहा है। साथ ही प्रिया सरोज ने धार्मिक मंचों से समाज को बांटने वाली बातों पर सवाल उठाते हुए इसे भारत के लोकतांत्रिक और सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ बताया।

यह विवाद ऐसे समय पर गरमाया है, जब हाल ही में अखिलेश यादव और अनिरुद्धाचार्य महाराज के एक पुराने कार्यक्रम का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। उस वीडियो में अखिलेश यादव ने महाराज से सवाल किया था कि "मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को सबसे पहले किस नाम से पुकारा था?" इस पर अनिरुद्धाचार्य ने उत्तर दिया था कि "कन्हैया कहकर पुकारा गया।" इसके बाद अखिलेश यादव ने उन्हें शुभकामनाएं देते हुए कहा था, "यहीं से आपका और हमारा रास्ता अलग हो गया।" साथ ही उन्होंने महाराज को 'शूद्र' शब्द के प्रयोग से परहेज करने की सलाह भी दी थी।

इस पूरे घटनाक्रम पर 16 जुलाई को अनिरुद्धाचार्य महाराज ने बिना किसी का नाम लिए जवाबी बयान देते हुए कहा कि "उत्तर प्रदेश के एक पूर्व मुख्यमंत्री ने मेरे उत्तर से असहमति जताई और कहा कि हमारे रास्ते अलग हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि "वे मुसलमानों से तो यह नहीं कहते कि तुम्हारा और हमारा रास्ता अलग है, बल्कि उनसे तो कहते हैं कि तुम्हारा रास्ता ही हमारा रास्ता है।"

इस टिप्पणी के बाद विवाद और गहरा गया है, जो अब केवल धार्मिक बहस नहीं रह गया, बल्कि खुलकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में बदल चुका है।