पीलीभीत में बाघों का कहर जारी, महिला की मौत, दो अन्य घायल

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के न्यूरिया क्षेत्र में एक बार फिर बाघ का आतंक देखने को मिला है। गुरुवार सुबह लगभग दो घंटे के भीतर अलग-अलग स्थानों पर बाघ ने तीन ग्रामीणों पर हमला कर दहशत फैला दी। इनमें मंडरिया गांव की 50 वर्षीय महिला तृष्णा की जान चली गई, जबकि दो अन्य घायल हो गए।

तृष्णा खेत में काम करने गई थीं, तभी घात लगाए बैठे बाघ ने उन पर हमला कर दिया और शव खेत से बरामद किया गया। इससे कुछ ही मिनट पहले उसी गांव के किशोर नीलेश पर भी बाघ ने झपट्टा मारा था। हालांकि, नीलेश ने साहस दिखाते हुए करीब 10 मिनट तक बाघ से संघर्ष किया और ग्रामीणों के शोर मचाने पर बाघ वहां से भाग गया।

सहजनिया में भी हमला, महिला गंभीर रूप से घायल

इसके अलावा, सहजनिया गांव में भी एक और बाघ ने 50 वर्षीय महिला मीना पर हमला कर दिया। वह खेत की ओर जा रही थीं जब गन्ने के खेत से निकलकर बाघ ने उन्हें दबोच लिया और करीब 20 मीटर तक घसीटता रहा। शोर सुनकर आसपास के लोग पहुंचे, तब जाकर बाघ भागा। मीना की पीठ में गहरा घाव हुआ है और उनका इलाज अस्पताल में जारी है।

इलाके में डर का माहौल, प्रशासन सतर्क

मंडरिया में महिला की मौत से ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश है। मौके पर जिलाधिकारी ज्ञानेंद्र सिंह और पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव फोर्स के साथ पहुंचे। वन विभाग की टीम भी सक्रिय है और बाघों की खोजबीन की जा रही है, लेकिन अब तक शिकंजा कसने में सफलता नहीं मिली है।

ग्रामीणों ने बनाई वीडियो, सुरक्षा पर उठे सवाल

सहजनिया और अनवरगंज गांवों में बाघों की आवाजाही का वीडियो भी ग्रामीणों ने रिकॉर्ड किया है। उनका दावा है कि क्षेत्र में दो बाघ सक्रिय हैं। हमलों की बढ़ती घटनाओं के चलते लोग वन विभाग की कार्यप्रणाली से नाराज़ हैं और इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम की मांग कर रहे हैं।

हाथी और ड्रोन से निगरानी, फिर भी बाघ लापता

गौरतलब है कि इसी सप्ताह सोमवार को न्यूरिया थाना क्षेत्र के फुलहर गांव में बाघ ने दयाराम नामक किसान की जान ले ली थी। तब से वन विभाग ने निगरानी बढ़ा दी थी। मंगलवार को दो हाथियों और थर्मल ड्रोन की मदद से बाघ की लोकेशन का पता लगाने की कोशिश की गई थी। खेतों में जाल भी बिछाया गया, लेकिन बाघ अब तक पकड़ से बाहर है।

बृहस्पतिवार को हुए ताज़ा हमलों ने एक बार फिर इलाके में भय का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीण डर के चलते अपने घरों में कैद होने को मजबूर हैं।

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