लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग ने राज्य के 58 जिलों में संचालित वृद्धाश्रमों के संचालन के लिए नए सिरे से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया है। अक्टूबर में समाप्त हो रहे वर्तमान अनुबंधों के स्थान पर अब नए नियमों व शर्तों के तहत एनजीओ का चयन किया जाएगा।
विभाग के अनुसार, एक स्वयंसेवी संस्था (NGO) को अधिकतम दो वृद्धाश्रम संचालित करने की अनुमति दी जाएगी। शासन स्तर पर इस संबंध में दिशा-निर्देश तैयार किए जा रहे हैं। निविदा प्रक्रिया में प्राथमिकता उन संगठनों को दी जाएगी जिन्हें वृद्धाश्रम संचालन का पूर्व अनुभव है, साथ ही केंद्र या राज्य सरकार से सम्मानित एनजीओ को भी वरीयता मिलेगी।
11250 की क्षमता, सिर्फ 6500 रहवासी
राज्य में कुल 75 जिलों में वृद्धाश्रमों का संचालन किया जा रहा है, जिनकी कुल क्षमता 11,250 वृद्धों की है। फिलहाल इनमें करीब 6,500 वृद्ध निवासरत हैं। अधिकारियों के अनुसार, जब से बायोमीट्रिक उपस्थिति अनिवार्य की गई है, तब से रहवासियों की संख्या में 15–20 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।
अब विभाग सुबह, दोपहर और रात्रि भोजन के समय भी बायोमीट्रिक हाजिरी को अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है, ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके और फर्जी उपस्थिति पर रोक लगाई जा सके।
इन वृद्धाश्रमों में रहने, भोजन, मनोरंजन और आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सा जांच की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। संचालन गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है, जिन्हें रहवासी वृद्धों की संख्या के आधार पर भुगतान किया जाता है।