बरेली में लगातार हो रही बारिश के चलते सब्जियों की कीमतों में तेज़ उछाल देखने को मिल रहा है। जून की तुलना में जुलाई में आलू और बैंगन लगभग दोगुने दाम पर बिक रहे हैं, जबकि टमाटर की कीमत तीन गुना तक बढ़ गई है। हरी मिर्च और शिमला मिर्च की कीमतों में आठ और पांच गुना तक की वृद्धि हुई है। अन्य हरी सब्जियों की दरों में भी उल्लेखनीय इज़ाफा हुआ है, जिससे घरेलू बजट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
बरसात और आपूर्ति में रुकावट बनी महंगाई की वजह
स्थानीय सब्जी विक्रेताओं और कारोबारियों का कहना है कि हालिया बारिश ने खेतों में पानी भर दिया है, जिससे बदायूं और कासगंज जैसे इलाकों से आने वाली सब्जियों की आवक प्रभावित हुई है। जलभराव के कारण कई स्थानों से ट्रकों की मंडी तक पहुंच बाधित हुई है, जिससे आपूर्ति कम होने पर कीमतों में तेज़ी आई है।
पहाड़ी क्षेत्रों और अन्य जिलों से आने वाली सब्जियां भी तेज़ दामों पर आ रही हैं, जिससे खुदरा बाजार में इनके दाम और भी अधिक हो गए हैं।
खुदरा बाज़ार में मनमानी वसूली
थोक मंडियों में दरें बढ़ने के बाद फुटकर बाजार में सब्जियां और महंगी बिक रही हैं। रेहड़ी-पटरी विक्रेता थोक के मुकाबले कई गुना ज्यादा कीमत वसूल रहे हैं। उदाहरण के लिए, मंडी में 15 रुपये किलो बिकने वाली लौकी बाजार में 40 रुपये किलो बिक रही है, जबकि 15 रुपये वाली तोरई 35 रुपये में बेची जा रही है। टमाटर 70 से 80 रुपये किलो तक पहुंच गया है।
स्थानीय विक्रेता बंटी के अनुसार, “मंडी से ही सब्जियां महंगी मिल रही हैं, और अगर समय पर न बिकें तो खराब हो जाती हैं, इसलिए थोड़ा मुनाफा जोड़कर बेचना मजबूरी है।”
प्राकृतिक कारणों से हर साल बढ़ती हैं कीमतें
सब्जी कारोबारी सलीम खान ने बताया कि जुलाई में सब्जियों के दामों में असाधारण बढ़ोतरी देखी जा रही है। कुछ क्षेत्रों से आवक पूरी तरह थमी हुई है, जिससे कीमतों पर सीधा असर पड़ा है।
वहीं, व्यापारी सुजाउल रहमान ने कहा कि मानसून के दौरान हर साल यही स्थिति होती है, जब पहाड़ और मैदानी क्षेत्रों में फसलों को नुकसान पहुंचता है और सब्जियों की दरें तेजी से चढ़ जाती हैं।
जून और जुलाई की तुलना में प्रमुख सब्जियों के दाम:
सब्जी | जून (रु./किलो) | जुलाई (रु./किलो) |
---|---|---|
आलू | 10 | 18 |
टमाटर | 8 | 24 |
लौकी | 5 | 15 |
तोरई | 4 | 15 |
बैंगन | 10 | 20 |
हरी मिर्च | 10 | 80 |
शिमला मिर्च | 20 | 100 |