समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की सोशल मीडिया पर मिर्ची बाबा उर्फ राकेश दुबे के साथ मुलाकात की एक तस्वीर खूब वायरल हो रही है। यादव ने मिर्ची बाबा को एमपी की एक प्रमुख सीट से चुनावी मैदान में उतरने के लिए शुभकामनाएं भी दी है। जैसे ही अखिलेश ने यह शुभकामना दी इसके बाद पूरे राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि क्या मिर्ची बाबा चुनावी मैदान में उतरने जा रहे है।

कुछ लोगों का कहना है कि बाबा सीएम शिवराज के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, जबकि कुछ का कहना है कि वह कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ सकते है। हालांकि, इस पूरे मामले में अब तक मिर्ची बाबा की तरफ से कोई बयान नहीं आया है। प्रदेश की सियासत में चर्चा का केंद्र बने आखिर ये मिर्ची बाबा कौन हैं? कैसे उन्होंने ऑयल मिल मजदूर से महामंडलेश्वर तक का सफर तय किया? आइये जानते है...

कैसे बने मिर्ची बाबा?

मिर्ची बाबा उर्फ राकेश दुबे मध्य प्रदेश के भिंड जिले के बिरखड़ी गांव के रहने वाले हैं। इनके पिताजी आयोध्या के पास मालनपुर के एक मंदिर में पुजारी थे। 1997 में मिर्ची बाबा केवल आयल मिल मजदूरी का काम करते थे। बाद में गांव की जमीन बेचकर ट्रक खरीद लिया। इसमें भी घाटा हो गया, तो वह भी बेच दिया। इसके बाद प्रदेश छोड़कर गुजरात चल दिए। वहां अहमदाबाद में एक प्राइवेट मिल में काम करने लगे। यहीं से वे किसी संत के संगत में आ गए। इसके बाद राकेश दुबे ने संन्यास लिया है। इसके बाद वे वैराग्य नंद गिरी हो गए। धीरे धीरे एमपी के गांवों में उनकी ख्याति बढ़ने लगी। स्वामी वैराग्यानंद गिरी की खास बात यह थी कि वह अपने भक्तों को मिर्ची की धूनी देते थे। इससे ही उनका नाम मिर्ची बाबा नाम पड़ा। बाबा व्यासपीठ पर बैठकर भागवत भी करने लगे। ख्याति की वजह से लोग उन्हें बुलाते थे।

इसी दौरान उनके संबंध कांग्रेस नेताओं से बढ़े। इसके बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के संपर्क में आ गए। मिर्ची बाबा से जुड़े लोग कहते है कि, दिग्विजय सिंह ने ही उन्हें भोपाल की मिनाल रेजीडेंसी में बंगाल दिलाने में मदद की। 2018 में जब पिता का निधन हुआ तो लगभग 20 हजार लोगों को त्रयोदशी संस्कार में प्रसाद की व्यवस्था की। तत्कालीन कांग्रेस सरकार के कई मंत्री और विधायकों के इस भोज में शामिल हुए। इससे गांव में उनका कद और बढ़ गया। 

2018 में जब राज्य में कमलनाथ के नेतृत्व में बनी कांग्रेस सरकार में उन्हें निगम का अध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दे दिया गया। 2019 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे। तब भी मिर्ची बाबा ने ऐलान कर दिया कि अगर दिग्विजय हारते हैं तो वह जल समाधि ले लेंगे। लेकिन सिंह हार गए उन्होंने कोई समाधि नहीं ली।

कांग्रेस सरकार में बाबा के बुरे दिन
भाजपा सरकार में गायों की रक्षा की मांग को लेकर मिर्ची बाबा ने सात दिनों तक अनशन किया था। लेकिन सरकार ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया। बाद में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा गौमूत्र और गंगाजल भेंट करने के बाद अपना अनशन समाप्त कर दिया। कमलनाथ सरकार गिरने के बाद मिर्ची बाबा का बुरा दौर शुरू हो गया। 2022 में 29 वर्षीय महिला ने उन पर नशीली भभूति खिलाकर रेप का आरोप लगाया। बाबा लगभग 13 महीने जेल में रहे। बाद में कोर्ट ने उन्हें इस मामले में बरी कर दिया। इस दौरान उनकी कांग्रेस सरकार से तल्खी बढ़ गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस मामले में उनका साथ नहीं दिया।

क्या बाबा उतर सकते है मैदान में
सपा प्रमुख अखिलेश यादव के ट्वीट के बाद संशय इस बात पर है कि मिर्ची बाबा कहां से चुनाव लड़ने वाले हैं। कई का कहना है कि वह सीएम शिवराज के खिलाफ बुधनी सीट से मैदान में उतर सकते है। जबकि कुछ का कहना है कि वह छिंदवाड़ा से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ सकते हैं। इस बात की संभावना इसलिए भी है क्योंकि सीटों के बंटवारे को लेकर पूछे गए सवाल में कमलनाथ ने कहा था 'कौन अखिलेश'?