देहरादून। उत्तराखंड में एक युवक सुरेंद्र कुमार के बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। जांच में खुलासा हुआ है कि सुरेंद्र ने सेवायोजन के फॉर्म में तीन अलग-अलग इम्प्लाई आईडी बनाई और फर्जी दस्तावेजों के सहारे कई धोखाधड़ी की।

सुरेंद्र की सबसे बड़ी चूक यही रही कि उसने अपनी आईडी की शुरुआत गलत राज्य कोड “यूए” से की। जबकि उत्तराखंड की सही शुरुआत “यूके” होती है। इसके अलावा, 16 अंकों वाली आईडी में उसने केवल 13 अंक ही लिखे।

जांच में यह भी पता चला कि उसने अपने पिता के नाम की स्पेलिंग तीनों फॉर्म में अलग-अलग लिखी। फर्जी स्थायी प्रमाणपत्र बनवाकर देहरादून का पता भी दिखा दिया। इसके आधार पर ओबीसी प्रमाणपत्र भी बनाया गया। इसमें अंक और जन्मतिथि के मामलों में कई विसंगतियां सामने आईं।

अनोखी बात यह रही कि सुरेंद्र ने अपने स्थायी प्रमाणपत्र में 2001 में आवेदन करने का दावा किया, जबकि दस्तावेज़ 2023 में जारी हुआ। प्रमाणपत्र पर शासनादेश संख्या गलत थी और एसडीएम के हस्ताक्षर भी नहीं थे। इसके अलावा, उसने एक ही अभ्यर्थी के रूप में कभी देहरादून, कभी गाजियाबाद और कभी हापुड़ का पता दर्शाया।

शिक्षा के दस्तावेज़ों में भी अजीब खुलासे हुए। सुरेंद्र ने अपने जन्मतिथि को अलग-अलग दिखाने के लिए हाईस्कूल तीन बार पास करने का दावा किया और इंटरमीडिएट के भी कई दस्तावेज पेश किए। 2010 से 2013 के बीच उसने तीन अलग-अलग विश्वविद्यालयों से ग्रेजुएशन किए होने का दावा किया, जबकि ऐसा भौतिक रूप से संभव नहीं है।

जांच अधिकारी बताते हैं कि सुरेंद्र की चालाकी और फर्जीवाड़े की परतें अब धीरे-धीरे उजागर हो रही हैं। ऐसे मामलों में सावधानी और कड़ी जांच की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की धोखाधड़ी पर अंकुश लगाया जा सके।