दलित को पीटकर मारने वाले की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद की

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को राजकोट में वर्ष 2018 में चोरी के संदेह पर एक दलित व्यक्ति को पीट-पीटकर मार डालने के आरोपों का सामना कर रहे दो लोगों की जमानत रद्द कर दी। शीर्ष अदालत ने कहा कि गुजरात हाईकोर्ट ने आरोपी की रिहाई के आदेश में ‘गंभीर त्रुटि’ की है। 

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने अपराधों की गंभीरता के साथ-साथ सीसीटीवी व मोबाइल फुटेज सहित अन्य सबूतों, शिनाख्त परेड और गवाहों के बयान आदि पर विचार किए बिना जमानत आदेश पारित किया। शीर्ष अदालत ने नोट किया कि मृतक मुकेशभाई को आरोपियों ने बेरहमी से पीटा था। पीठ ने आरोपी तेजस कनुभाई जाला और जयसुखभाई देवराजभाई रादडिया के इस तर्क को खारिज कर दिया कि ढाई साल पहले जमानत मिलने के बाद उन्होंने अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया।  शीर्ष अदालत ने उन्हें एक सप्ताह के भीतर संबंधित जेल अथॉरिटी के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा है। 

जमानत के खिलाफ अपील दायर न करने पर गुजरात सरकार की खिंचाई 
अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने जमानत के खिलाफ अपील दायर नहीं करने के लिए गुजरात सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि राज्य इतने गंभीर मामले में पीड़ित के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रहा है। पीठ ने कहा कि आपराधिक मामलों में जिस पक्ष को पीड़ित पक्ष के रूप में माना जाता है वह राज्य है, जो बड़े पैमाने पर समुदाय के सामाजिक हितों का संरक्षक है और इसलिए समुदाय के सामाजिक हित के खिलाफ काम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए राज्य को सभी आवश्यक कदम उठाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य को इस तरह के गंभीर मामले में कानून का शासन बनाए रखने के लिए बहुत गंभीर होना चाहिए था। क्योंकि इस मामले में एक व्यक्ति की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी जब वह अपनी पत्नी और चाची के साथ कारखाने के बाहर कबाड़ इकट्ठा कर रहा था। 

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