अरनिया सेक्टर में पाकिस्तान की गोलाबारी के बाद लोग दहशत में है। आईबी से लेकर एलओसी तक डर का माहौल बना है। हीरानगर से लेकर पुंछ तक सीमावर्ती इलाकों के लोग बंकरों और सुरक्षित स्थानों की तरफ रुख करने लगे हैं। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) से सटे इलाकों में वीरवार की तरह शुक्रवार की रात भी डर के साए में बीती। लोगों ने घरों में बत्तियां तक नहीं जलाईं।
सभी सीमावर्ती इलाकों से बंकर खस्ताहाल होने की शिकायतें मिल रही हैं। लोगों का कहना है कि बंकरों की हालत खस्ता है। गोलाबारी होती है तो वे जान बचाने के लिए कहां जाएंगे। हर वक्त दिल में यही डर बना है कि पाकिस्तान कहीं फिर से भारी गोलाबारी शुरू न कर दे। परगवाल के लोगों में को एक बार फिर पलायन का डर सताने लगा है। स्थानीय किसानों के अनुसार जब भी फसल पककर तैयार होती है, तब पाकिस्तान फायरिंग शुरू कर देता है। गांव जट्टे दे कोठे के किसान मदन सिंह का कहना है कि सरहद पर तनाव किसी आपदा से कम नहीं। खेतों में मेहनत की कमाई खड़ी है।
अगर कहीं फायरिंग शुरू हो जाती है तो भारी नुकसान होगा। गांव दानपुर के दिलीप सिंह ने कहा कि हर बार-बार सरहद पर पैदा हो रहा तनाव सुखचैन छीन रहा है। पाकिस्तानी रेंजर अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहे। परगवाल एक कृषि प्रधान क्षेत्र है, जहां के ज्यादातर लोग कृषि पर निर्भर हैं। उधर, अरनिया में गोलाबारी की आंच पुंछ जिले तक पहुंच गई है। नियंत्रण रेखा पर बसे आखिरी गांव करमाडा के ग्रामीण खतरे को भांपते हुए पहले ही बंकरों में शरण लेने लगे हैं। गांववासी अब्दुल रजाक और मोहम्मद शबीर के परिवार ने जरूरत का सामान बंकरों में पहुंचा दिया है। उन्होंने कहा कि जैसे ही अरनिया में गोलाबारी की सूचना मिली तो दिल में डर पैदा हो गया।
डर के साए में रात बिताई और सुबह होते ही सामान लेकर बंकरों में रख दिया। करमाडा पिछले कई वर्षों तक पाकिस्तानी गोलाबारी से प्रभावित रहा है। यहां दो परिवारों के तीन-तीन सदस्य गोलाबारी में जान गांव आ चुके हैं। हमारे घरों, माल मवेशियों काे भारी नुकसान होता रहा है। मोहम्मद शबीर का कहना है कि ढाई साल अमन चैन से काटे। अब फिर से पाकिस्तान ने अपनी नापाक हरकत शुरू कर दी है। इससे बच्चों की पढ़ाई, खेतीबाड़ी के साथ अन्य काम भी प्रभावित होंगे। हमारी प्रशासन से मांग है कि क्षेत्र में जिन बंकरों का निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है उनका काम जल्द पूरा करवाया जाए।
सुचेतगढ़ के सरकारी स्कूल में बच्चे बेखौफ करते रहे पढ़ाई
सुचेतगढ़ के सरकारी मिडिल स्कूल में शुक्रवार को बच्चे बेखोफ होकर कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई करते रहे। आधी छुट्टी की घंटी बजते ही खुले मैदान में खेलने लगे। स्कूल की मुख्याध्यापक ने कहा कि अभी तक शिक्षा विभाग से स्कूल बंद करने का कोई आदेश नहीं मिला है। गांव के निवासी चमन लाल ने स्कूल की दीवार पर पाकिस्तान की गोलाबारी के निशान दिखाते कहा, पड़ोसी मुल्क ने फिर नापाक हरकत शुरू कर दी है। स्कूल में कोई बंकर भी नहीं है। पांचवीं की छात्रा राधिका ने बताया कि पहले भी फायर होता था पर अब काफी समय से नहीं हुआ। इतना कहने के बाद राधिका अपने सहपाठियों से खेलने चली गई।