22वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2024 तक बढ़ा

नयी दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22वें विधि आयोग का कार्यकाल अगस्त 2024 तक बढ़ाये जाने को बुधवार को मंजूरी प्रदान कर दी। इस आयोग को अप्रासंगिक कानूनों की पहचान करने एवं उन्हें निरस्त करने की सिफारिश करने का दायित्व दिया गया था।

एक सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

बयान में कहा गया है कि 22वें विधि आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के हाल ही में पदभार ग्रहण करने और कई लंबित परियोजनाओं पर विचार करने के कारण इसके कार्यकाल को 31 अगस्त 2024 तक बढ़ाया जाता है।

इसका कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया था।

इसकी संरचना पहले की तरह ही रहेगी और इसमें एक पूर्णकालिक अध्यक्ष, चार पूर्णकालिक सदस्य (सदस्य-सचिव सहित), पदेन सदस्य के रूप में विधि कार्य विभाग के सचिव, पदेन सदस्य के रूप में विधायी विभाग के सचिव और अधिकतम पांच अंशकालिक सदस्य होंगे।

इससे पहले, 22वें विधि आयोग का गठन 21 फरवरी, 2020 को तीन साल की अवधि के लिए किया गया था और इसके अध्यक्ष, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऋतुराज अवस्थी ने 9 नवंबर, 2022 को पदभार ग्रहण किया।

बयान के अनुसार, अप्रासंगिक कानूनों की पहचान करने के साथ आयोग को नीति निर्देशक सिद्धांतों एवं संविधान की प्रस्तावना के निर्धारित उद्देश्यों को लागू करने की दिशा में जरूरी समझे जाने वाले नये विधान को लागू करने पर सुझाव देने का दायित्व भी सौंपा गया है।

नीति निर्देशक सिद्धांत के तहत अनुच्छेद 44 के अनुसार, सरकार पूरे भारत में नागरिकों के लिए एक समान नागरिक संहिता सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी।

कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने इस महीने की शुरुआत में राज्यसभा को सूचित किया था कि अध्यक्ष का कार्यकाल आयोग की अवधि बीतने के साथ समाप्त हो जाता है।

उन्होंने कहा था, ‘‘21वें विधि आयोग का कार्यकाल 31 अगस्त, 2018 को समाप्त हो गया था। विधि आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, समान नागरिक संहिता से संबंधित मामला 22वें विधि आयोग द्वारा विचार के लिए लिया जा सकता है।’’

22वें विधि आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में पिछले आयोग के एक साथ चुनाव कराने के सुझाव के संबंध में छह सवालों पर राजनीतिक दलों और निर्वाचन आयोग सहित विभिन्न हितधारकों से हाल में नए सिरे से विचार मांगे थे।

बयान के अनुसार विभिन्न विधि आयोग, देश के कानून के प्रगतिशील विकास और संहिताकरण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम रहे हैं। विधि आयोग ने अब तक 277 रिपोर्ट प्रस्तुत की हैं।

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