दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति स्वर्णकांता शर्मा ने आम आदमी पार्टी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की सारी मक्कारियों और दुष्टता की पोल खोल कर रख दी है। खुद को कट्टर ईमानदार बताकर और लूट में अपने सहयोगी को भारतरत्न देने की मांग करने वाला धूर्तों का सरताज कैसे अपनी तुलना शहीद-ए-आजम भगत सिंह से कर दुनियां की आँखों में धूल झोंकने में लगा था।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि पक्के सबूतों और प्रमाणों के आधार पर ही प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया। व्यक्तिगत रूप से और आम आदमी पार्टी के रूप में केजरीवाल ने शराब घोटाला कराया। रिश्वत या कमीशन की चवन्नी भी न मिल पाने का ढोल पीटने वाले केजरीवाल के चपड़कनातियों की पोल भी खुल गई। गोवा के चुनाव में घोटाले का पैसा खर्च होने के प्रमाण भी मिल गये और न्यायालय ने यह भी साफ कर दिया कि कानून की नजर में मुख्यमंत्री भी आम आदमी की तरह है।
लोकतंत्र में जनता विश्वास, आश्वासनों और वयदों पर विश्वास करती है। केजरीवाल ने अपने आचरणों से खुद को राजनीति का सबसे बड़ा झूठा और दगाबाज तो सिद्ध किया ही है, इसने लोकतंत्र की आस्था और उसकी कार्य व्यवस्था का खून कर दिया। हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी केजरीवाल के प्यादे जनता और न्यायपालिका की आँखों में धूल झोंकने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। वे क्यों भूल रहे हैं कि काठ की हांड़ी बार-बार नहीं चढ़ती। एक बात और। केजरीवाल से साल भर में 1100 करोड़ लेने वाली मीडिया उसका ढोल कब तक बजाएगी ?
अब केजरीवाल के मंत्री राजकुमार आनंद ने मंत्री पद और आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देते हुए केजरीवाल की पूरी पोल खोल दी। संजय सिंह की लीपा-पोती पर किसी को विश्वास नहीं। आप का विघटन क्या शुरू हो गया ?
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’