कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक बार चीजें सामान्य लगने लगी थीं, इसी बीच ओमिक्रॉन वैरिएंट ने पूरी दुनिया के लिए मुश्किलें बढ़ा दीं। दुनियाभर में एक बार फिर से तनाव और अराजकता की स्थिति देखने को मिल रही है। अध्ययनों से पता चलता है कि कोरोना का यह नया वैरिएंट अब तक का सबसे संक्रामक हो सकता है, जिससे बचाव के लिए लोगों को और अधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। इतना ही नहीं, विशेषज्ञ बताते हैं कि इस वैरिएंट में देखे गए म्यूटेशन इसे वैक्सीन से बनी शारीरिक प्रतिरक्षा को चकमा देने के योग्य बनाते हैं, जिससे चिंता और बढ़ जाती है। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन की तीसरी डोज देकर लोगों को इससे सुरक्षित किया जा सकता है।
ऐसे में एक सवाल खड़ा होता है कि क्या दो अलग-अलग ब्रॉंड की वैक्सीन का मिक्स डोज देकर लोगों को ओमिक्रॉन के खतरे से बचाया जा सकता है? मिक्स डोज को लेकर दूसरी लहर के दौरान भी खूब चर्चा हुई थी। आइए इस बारे में आगे की स्लाइडों में जानते हैं।
क्या होता है मिक्स वैक्सीनेशन?
ओमिक्रॉन से बचाव के लिए बूस्टर डोज के साथ-साथ टीकों के मिश्रण यानी कि मिक्स वैक्सीनेशन को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। मिक्स वैक्सीनेशन का मतलब, वैक्सीन की दो अलग-अलग ब्रांड की दो खुराक देने से है। आमतौर पर लोगों को पहली और दूसरी डोज एक ही कंपनी के वैक्सीन की दी जाती है। कुछ यूरोपीय देशों ने बेहतर प्रभावकारिता के लिए मिक्स वैक्सीनेशन देने का निर्णय भी लिया था।
ओमिक्रॉन पर मिक्स डोज का असर
अध्ययनों से पता चलता है कि वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोगों में कोरोना के गंभीर संक्रमण और इसके कारण होने वाली मौत का जोखिम कम होता है। हालांकि ओमिक्रॉन वैरिएंट में चूंकि 30 से अधिक म्यूटेशनों के बारे में पता चला है, ऐसे में वैक्सीनेशन की दो खुराक इसपर कितनी प्रभावी हो सकती हैं, इसे जानने के लिए अध्ययन किया जा रहा है। माना जाता है कि नए वैरिएंट में प्रतिरक्षा तंत्र से बचाव करने की क्षमता है, ऐसे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि दो अलग-अलग ब्रांड की वैक्सीन देकर शरीर में अधिक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा की जा सकती है।
अध्ययन में क्या पता चला?
कुछ अध्ययनों में मिक्स वैक्सीन की डोज को ज्यादा असरदार बताया जा रहा है। यूरोपियन मेडिसिन एजेंसी (ईएमए) और यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (ईसीडीसी) ने एक संयुक्त बयान में कहा कि वेक्टर और एमआरएनए वैक्सीन का संयोजन सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ बेहतर सुरक्षा प्रदान कर सकता है। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित 1070 प्रतिभागियों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका या फाइजर-बायोएनटेक की पहली खुराक के नौ सप्ताह के अंतराल बाद नोवावैक्स या मॉडर्ना की दूसरी डोज देकर शरीर में मजबूत प्रतिरक्षा उत्पन्न करने में मदद मिल सकती है।
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मिक्स डोज को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बाल रोग और वैक्सीनोलॉजी में एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख लेखक प्रोफेसर मैथ्यू स्नेप कहते हैं, कुछ अध्ययनों में दो अलग-अलग कंपनी के टीकों को मिलाने से बेहतर परिणाम सामने आने के बारे में पता चलता है। संभव है इस उपाय के माध्यम से कोरोना के ओमिक्रॉन जैसे नए और अधिक संक्रामक वैरिएंट से मुकाबले में मदद मिल सकती है। फिलहाल इस बारे में जानने के लिए विस्तार से अध्ययन किए जा रहे हैं।