अपने ही जिले में भाजपा को नहीं हरा सके टिकैत बंधु

आज के दिन उत्तर प्रदेश की सियासत से कई खबरें आई, मसलन एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के योगी को दोबारा सीएम नहीं बनने देने के दावे पर बीजेपी ने पलटवार किया। उधर लखनऊ में आप सांसद संजय सिंह ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। लेकिन आपको उत्तर प्रदेश कि सियासत से जुड़ी एक और बड़ी खबर बताते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने पहले पूर्वांचल में अपना जलवा बिखेरा जहां 22 सीटों पर निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष जीतकर आए हैं। लेकिन इसके साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी ने अपनी धमक दिखाई है। पश्चिमी यूपी की ओबीसी आरक्षित मुजफ्फरनगर सीट से भाजपा के वीरपाल निर्वाल और सपा-रालोद संयुक्त प्रत्याशी सत्येंद्र बालियान की बीच भिडंत हुई। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए महज 34 वोट डाले गए। भाजपा प्रत्याशी वीरपाल निर्वाल को 30 वोट प्राप्त हुए। सत्येंद्र बालियान को केवल 4 वोटों से संतोष करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी वीरपाल निर्वाल की बात करें, तो डॉ. वीरपाल नमामि गंगे के प्रदेश सह-संयोजक रहें हैं। उनकी संगठन में अच्छी पकड़ है। हालांकि विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने दो बार अपना भाग्य आजमाया लेकिन सफलता नहीं मिली।

वहीं सत्येंद्र बालियान सपा-रालोद के संयुक्त प्रत्याशी थे और भाकियू नेता नरेश टिकैत ने सतेंद्र के नाम की घोषणा की थी। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के कोने-कोने में जाकर जनता से अपील करेंगे कि वो इनको (बीजेपी) को वोट (यूपी विधानसभा चुनाव 2022) न दे, जिसको चाहे उसको वोट दे लो लेकिन इनको वोट न दो। इसके साथ ही जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के लिए राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश टिकैत ने सत्येंद्र बालियान को जिताने में पूरी ताकत लगा दी। लेकिन योगी की ऑल टाइम फेवरेट छवि और पार्टी की मजबूत संगठन ने उनके मंसूबों को मुंगेरी लाल के सपने साबित कर दिया। नतीजा ये हुआ कि  राकेश टिकैत को उनके ही घर में करारी हार का सामना करना पड़ा है।

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