Timeless : नरगिस से रिश्ता टूटा, तो वैजयंती माला संग चला पिता राज कपूर का अफेयर, बेटे ऋषि कपूर ने किया था खुलासा

आज राज कपूर की पुण्यतिथि (Raj Kapoor Death Anniversary) है. दिवंगत अभिनेता, निर्देशक और निर्माता राज कपूर (Raj Kapoor) को अक्सर हिंदी फिल्मों और इंडस्ट्री को एक नए स्तर पर ले जाने का श्रेय दिया जाता है. जब हम राज कपूर का जिक्र करते हैं, तो कई नाम दिमाग में आते हैं. हालांकि, जो पहला नाम जहन में आता है, वह है- नरगिस (Nargis). राज कपूर शादीशुदा थे. उन्होंने, कृष्णा राज कपूर (Krishna Raj Kapoor) के साथ शादी की थी, लेकिन उनका नरगिस के साथ अफेयर किसी से छिपा नहीं था.

राज कपूर की पुण्यतिथि के मौके पर आज हम उनकी लव लाइफ के बारे में बात करेंगे कि कैसे उनकी जिंदगी में नरगिस आईं और फिर उनके वैजयंती माला के साथ भी लव अफेयर के चर्चे काफी सुर्खियों में रहे. सबसे पहले बात करते हैं राज कपूर और नरगिस की. बॉलीवुड गलियारों में राज कपूर और नरगिस की प्रेम कहानी के खूब चर्चे हुआ करते थे. नरगिस, राज कपूर की हर बात माना करती थीं. अगर राज कपूर उन्हें किसी फिल्म या एक्टर के साथ काम करने से मना करते थे, तो उनकी बात मानकर वह इनकार भी कर देती थीं.

नरगिस के गम में टूट गए थे राज कपूर

जब नरगिस से राज कपूर का रिश्ता टूटा तो वह खुद को संभाल नहीं पाए. टीजीएस जॉर्ज अपनी किताब The Life and Times of Nargis में लिखते हैं कि जब 1958 में नरगिस ने सुनील दत्त (Sunil Dutt) से शादी की तो राज कपूर खुद को सिगरेट से जलाया करते थे. ऐसा कर वह ये देखते थे कि कहीं वह सपना तो नहीं देख रहे कि अब नरगिस उनकी जिंदगी में नहीं हैं. दरअसल, शादीशुदा और बच्चों वाले राज कपूर, अक्सर नरगिस से शादी का वादा किया करते थे. जब नरगिस को लगा कि राज कपूर उनसे शादी नहीं करेंगे तो उन्होंने उनसे रिश्ता तोड़ दिया और सुनील दत्त से शादी कर ली. रोजोना जी भरकर शराब पीने की आदत भी राज कपूर को नरगिस के जाने के बाद लगी थी.

वैजयंती माला के साथ अफेयर चला तो घर छोड़कर चली गई थीं पत्नी कृष्णा

वहीं, राज कपूर के बेटे ऋषि कपूर ने अपनी किताब ‘खुल्लम खुल्ला’ में भी नरगिस के उनके पिता के साथ अफेयर होने की पुष्टि की. नरगिस के साथ जब राज कपूर का रिश्ता टूटा, तो उनका नाम दिग्गज अभिनेत्री वैजयंती माला के साथ जोड़ा जाने लगा. इसका खुलासा ऋषि कपूर ने अपनी ऑटोबायोग्राफी में किया है. ऋषि कपूर ने अपनी किताब में यह खुलासा किया कि जब उनके पिता राज कपूर का वैजयंती माला के साथ अफेयर चला, तो उनकी मां कृष्णा राज कपूर अपने बच्चों को लेकर घर से चली गई थीं और होटल में रहने लगी थीं.

ऋषि कपूर लिखते हैं- “मैं बहुत छोटा था जब मेरे पिता का नरगिस जी के साथ अफेयर था, इसलिए इसने मुझे ज्यादा प्रभावित नहीं किया. मुझे याद नहीं है कि उस दौरान घर में कुछ भी गड़बड़ थी. लेकिन मुझे ये याद है कि जब पापा का वैजयंती माला के साथ अफेयर हुआ तो उस समय मेरी मां के साथ मुझे मरीन ड्राइव स्थित नटराज होटल में जाना पड़ा. मेरी मां ने इस बार घर से बाहर निकलने का फैसला लिया. मेरे पिता ने मां और हमारे लिए एक अपार्टमेंट खरीदा था. होटल से हम दो महीने के लिए चित्रकूट के अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए.”

राज कपूर को वैजयंती माला ने कहा था- पब्लिसिटी का भूखा

अपनी इस किताब के जरिए ऋषि कपूर ने वैजयंती माला पर भड़ास भी निकाली थी. वह इसलिए क्योंकि वैजयंती माला ने राज कपूर के साथ उनके अफेयर पर तब तक तो कुछ नहीं बोला था, जब वह जिंदा थे, लेकिन उनके निधन के बाद उन्होंने इस रिश्ते को नकार दिया था.

ऋषि कपूर आगे लिखते हैं- “उन्होंने (राज कपूर) मां को वापस ले जाने के लिए हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन इस बार मां ने तब तक हार नहीं मानी, जब तक कि वह अपने उस चैप्टर को बंद नहीं कर देते. कुछ साल पहले प्रकाशित एक इंटरव्यू में, वैजयंती माला ने मेरे पिता के साथ कभी संबंध होने से इनकार किया था. उन्होंने दावा किया था कि पापा ने पब्लिसिटी की भूख के लिए रोमांस की कहानी गढ़ी थी. मैं भड़क गया था. वह (वैजयंती माला) इतनी निंदनीय कैसे हो सकती हैं और दिखावा कर सकती हैं कि अफेयर कभी नहीं हुआ? उन्हें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का कोई अधिकार नहीं था, क्योंकि वह (राज कपूर) अब सच्चाई बयां करने के लिए जिंदा नहीं थे.”

किताब में ऋषि ने बात जारी रखते हुए लिखा- “जब उनकी (वैजयंती माला) किताब आई तो मीडिया में कई दोस्तों ने मुझसे मेरी प्रतिक्रिया जानने के लिए संपर्क किया. मैंने उन्हें वही बताया जो मैं सोचता था. समय के साथ, मेरा गुस्सा कम हो गया. मैंने स्वीकार किया कि लोग अपने कारणों से असहज तथ्यों पर प्रकाश डालते हैं, लेकिन मैं पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि अगर पापा जिंदा होते तो वह (वैजयंती माला) इस अफेयर को इतना खुलकर नकारती नहीं या उन्हें (राज कपूर) पब्लिसिटी का भूखा नहीं कहतीं. मेरे पिता ने अपना ज्यादातर समय अपनी शर्तों पर जिया.”

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