इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने जातीय रैलियों पर रोक के मामले में निर्वाचन आयोग और चार राजनीतिक दलों कांग्रेस, भाजपा, सपा व बसपा को फिर नोटिस जारी किया है। 11 जुलाई, 2013 को कोर्ट ने पूरे प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर रोक लगा दी थी।
इसी मामले की सुनवाई के क्रम में बीते 11 नवंबर को सभी पक्षकारों को हाईकोर्ट में पेश होना था पर कोई पेश नहीं हुआ। इस पर मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने सभी को नए सिरे से नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 15 दिसंबर को नियत की है। दरअसल स्थानीय वकील मोतीलाल यादव ने एक जनहित याचिका 2013 में दायर की थी।
उनका कहना था कि प्रदेश में सियासी दल ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य सम्मेलन आदि का नाम देकर अंधाधुंध जातीय रैलियां कर रहे हैं। इससे सामाजिक एकता और समरसता को नुकसान हो रहा है। ये रैलियां व सम्मेलन समाज में लोगों के बीच जहर घोलने का काम कर रहे हैं, जो संविधान की मंशा के खिलाफ है।
गौरतलब है कि 2013 में आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा ने प्रदेश के करीब 40 जिलों में ब्राह्मण भाईचारा सम्मेलन आयोजित किए थे। उसके अलावा सपा ने भी मुस्लिम सम्मेलन आयोजित किए थे। नौ साल से अधिक समय से लंबित यह मामला जब बीते 11 नवंबर को कोर्ट के समक्ष आया तो नोटिस के बावजूद पक्षकारों की तरफ से कोई पेश नहीं हुआ।