लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने समाजवादी पार्टी (सपा) द्वारा चुनाव आयोग को भेजे गए 18 हजार शपथपत्रों को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दो ट्वीट किए। उन्होंने स्पष्ट किया कि जांच प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सपा को शपथपत्रों की मूल प्रतियां उपलब्ध करानी होंगी।

सीईओ ने अपने बयान में कहा कि आयोग को अब तक 18 हजार की जगह केवल 3919 शपथपत्रों की स्कैन कॉपियां ईमेल के जरिए मिली हैं। संभव है कि दस्तावेज़ भेजते समय तकनीकी त्रुटि हुई हो। ऐसे में सपा को मूल शपथपत्र या तो निर्वाचन आयोग के राज्य कार्यालय, संबंधित जिलों के डीईओ या विधानसभा क्षेत्रों के ईआरओ कार्यालय में जमा कराने होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि शपथपत्रों की सूची जमा करते समय पावती प्राप्त करना आवश्यक है ताकि यह दर्ज हो सके कि किस तारीख को कितने शपथपत्र मिले। इस बाबत सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों और निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं।

https://twitter.com/ceoup/status/1959901212066685303

पहले किए गए ट्वीट में सीईओ ने यह भी कहा था कि जिस शिकायत का बार-बार उल्लेख किया जा रहा है, उसमें अब तक एक भी शपथपत्र मूल रूप से आयोग को प्राप्त नहीं हुआ है। ईमेल के जरिये भेजी गई शिकायतों में लगभग 3919 व्यक्तियों के शपथपत्रों की स्कैन कॉपियां जरूर मिली हैं।

शिकायतें 33 जिलों के 74 विधानसभा क्षेत्रों से जुड़ी हैं। इनमें से 5 विधानसभा क्षेत्रों की जांच पूरी हो चुकी है और परिणाम एक्स पर साझा किए जा चुके हैं। जांच में सामने आया कि कुछ व्यक्तियों के नाम से नवंबर 2022 में शपथपत्र बने, जबकि उनकी मृत्यु कई साल पहले हो चुकी थी। वहीं, कुछ लोग यह कहकर सामने आए कि उन्होंने ऐसा कोई शपथपत्र दिया ही नहीं है। सीईओ ने कहा कि झूठे साक्ष्य प्रस्तुत करना कानूनन अपराध है।

इस बीच, समाजवादी पार्टी ने एक्स पर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए। सपा का कहना है कि 2022 का विधानसभा चुनाव और बाद के उपचुनाव भाजपा की मिलीभगत से लूटे गए और आयोग ने इस पर चुप्पी साधी। सपा ने यह भी कहा कि शिकायतकर्ताओं को धमकाने की घटनाएं हुई हैं, जिससे जनता का भरोसा चुनाव आयोग से उठ चुका है और अब लोग आयोग को भाजपा का ही अंग मानने लगे हैं।