साइबर अपराधी ने डीजीसी राजीव शर्मा का व्हाट्सएप हैक कर लिया। इसके बाद आईजीएल कंपनी की डीपी लगाकर उपभोक्ताओं को बिल जमा करने के लिए लिंक भेज दिए। इस पर कई उपभोक्ताओं ने रुपये जमा करा दिए। बाद में ठगे जाने का अहसास हुआ। कई शिकायत आईजीएल कंपनी के स्थानीय कार्यालय पर पहुंचीं। वहीं एक शिकायत आनलाइन साइबर सेल पर दर्ज कराई गई है।


 डीजीसी राजीव शर्मा के व्हाट्सएप की डीपी के माध्यम से ठगी की गई। शिकायतें आईजीएल के महावीर चौक स्थित कार्यालय पहुंचीं। इसके बाद डीजीसी ने पुलिस को जानकारी दी। उनका नंबर ब्लॉक कर जांच शुरू कर दी गई। उन्हें कुछ लोगों ने जानकारी भी दी कि उनके मोबाइल नंबर से आईजीएल कंपनी के लिंक भेजे जा रहे हैं। लिंक के माध्यम से ठगी की जा रही है।

ऐसे होता है व्हाट्सएप हैक
पीड़ित के पास एक मोबाइल से फोन आता है कि उन्होंने कोरियर या पार्सल मंगाया है। उनका कर्मचारी उनसे कुछ दूर खड़ा है और काफी प्रयास के बाद भी उनका मोबाइल नंबर मिल नहीं पा रहा है। इसलिए उनके बताए मोबाइल नंबर पर कॉल कर लें। नंबर से पहले उनका बताया कोड जरूर लगा लें। यह प्रक्रिया अपनाते ही पीड़ित के मोबाइल का व्हाट्सएप साइबर अपराधी के पास दूसरे मोबाइल नंबर पर चलने लगता है। पीड़ित का व्हाट्सएप काम करना बंद कर देता है। इसी प्रकार डीजीसी का व्हाट्सएप हैक किया गया।

आईजीएल कंपनी के लिंक से हुई ठगी
नई मंडी निवासी प्राची ने साइबर सेल में आनलाइन रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनकी मां के मोबाइल पर आईजीएल कंपनी का लिंक भेजा गया कि उनका बिल अपडेट नहीं है। लिंक में भेजे नंबर पर फोन किया तो बताया कि 15 रुपये उनके बताए खाते में ट्रांसफर करें। यह पैसा बाद में वापस कर दिया जाएगा। पैसा जमा कराने के कुछ देर बाद ही उनके खाते से पांच बार में 36 हजार रुपये ट्रांसफर कर लिए गए।

तुरंत सूचना दें
साइबर थाना पुलिस ने बताया कि साइबर अपराधियों ने एडीजी व 36 हजार रुपये ठगी प्रकरण में मोबाइल का व्हाट्सएप हैक किया था। इसलिए इस प्रकार के मामलों में साइबर थाना पुलिस को तुरंत सूचना दें।

एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापत ने कहा कि जब भी कोई अनजान व्यक्ति किसी लिंक या एप्लीकेशन को डाउनलोड करने को कहे, तो सतर्क हो जाएं। क्योंकि आप साइबर अपराध का शिकार हो सकते हैं। साइबर अपराध होने पर साइबर थाने या फिर 1930 पर समय से सूचना दें ताकि पुलिस कार्रवाई शुरू कर सकें।