द्वारिका पुरी में शिक्षक पराग शर्मा के घर मातम पसरा है। अब घर की रौनक चिन्मय भारद्वाज की यादें और बातें ही रह गई हैं। सब ढांढस बंधा रहे हैं, लेकिन परिवार के आंसू नहीं रुक रहे।  शिक्षक पराग शर्मा ने बताया कि बेटे को बाइक पर 900 किमी जाने से रोका था, लेकिन वह नहीं माना। दोस्तों ने भी उसके साथ जाने से इनकार कर दिया, लेकिन वह फिर भी अकेला चला गया। गमगीन पिता ने बताया कि चिन्मय भारद्वाज ने पहले बाइक पर दोस्तों के साथ सफर करने की योजना बनाई थी। बरसात के मौसम को देखते हुए सबने इंकार कर दिया और उसे समझाया कि फिलहाल यात्रा ठीक नहीं रहेगी।

Muzaffarnagar: Father kept stopping him, death took Chinmay to Leh, friends also refused to go


इसके बाद परिवार को जानकारी मिली कि वह बाइक पर जाना चाहता है तो मना किया गया। माता प्रियंका शर्मा और पिता पराग शर्मा उसे आखिरी दिन तक मना करते रहे, लेकिन दोनों को बेटे की जिद के सामने झुकना पड़ा। 22 अगस्त को अकेला बाइक पर सवार होकर चिन्मय लेह के लिए निकल गया। परिवार को इतनी जानकारी मिली थी कि उसने लेह में रहने का ठिकाना बनाया है और यहीं से वह घूमने के लिए जाता है। किसी को नहीं पता था कि लेह में ऑक्सीजन की इतनी कमी हो जाएगी कि उनके बेटे की जान ही चली जाएगी।

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तीन माह पहले शुरू की थी नौकरी
शिक्षक दंपती के इकलौते बेटे चिन्मय भारद्वाज ने तीन माह पहले ही ट्रैक्टर कंपनी की डिजिटल मार्केटिंग में प्रशिक्षु के तौर पर नौकरी की थी। वह वर्क फ्रॉम होम कर रहा था। नोएडा ऑफिस में उसकी रिपोर्टिंग थी।

एमजी पब्लिक स्कूल से की थी पढ़ाई
चिन्मय ने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सरकुलर रोड स्थित एमजी पब्लिक स्कूल से ही की थी। यहीं पर उनके पिता पराग शर्मा भौतिक विज्ञान के वरिष्ठ शिक्षक हैं।

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बेटा चला गया और पिता ने होटल को दान किया स्ट्रेचर
जिंदगी की सबसे मुश्किल घड़ी में शिक्षक पराग शर्मा समाज के लिए मार्गदर्शक और प्रेरक साबित हुए। दूसरी मंजिल के कमरे में बेटे का शव था, लेकिन होटल के पास स्ट्रेचर नहीं था। बेहद मुश्किल के साथ शव उतारा गया। ऐसे में शिक्षक ने घर लौटने से पहले नया स्ट्रेचर मंगाकर दान कर दिया।

शिक्षक पराग शर्मा बताते हैं कि वह जिस समय लेह के होटल में पहुंचे तो बेटे की मौत हो चुकी थी। डॉक्टरों से मौत की वजह जानी। शव को होटल के कमरे से नीचे लाने में मुश्किल हुई। जिस होटल में बेटा ठहरा था, वहां पर स्ट्रेचर या अन्य कोई साधन नहीं था। गमगीन पिता ने मुश्किल देखी तो समाज के सामने नया उदाहरण पेश कर दिया। बेटे का शव गाड़ी में रखवाकर सबसे पहले स्ट्रेचर का इंतजाम किया और होटल को दान कर दिया। वह कहते हैं कि भगवान न करे कभी किसी और को इस तरह की स्थिति में परेशानी उठानी पड़े।

शिक्षा के क्षेत्र में परिवार की पहचान
शिक्षक पराग शर्मा के पिता मोहन लाल शर्मा शहर के दीप चंद ग्रेन चैंबर इंटर कॉलेज में प्रवक्ता रहे हैं। वह मूल रूप से गाजियाबाद के मुरादनगर के रहने वाले थे। बाद में परिवार द्वारिकापुरी में बस गया।

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घूमने का शौकीन था चिन्मय, सोशल मीडिया पर सक्रिय
चिन्मय मौका मिलते ही घूमने निकल जाता था। केदारनाथ, रुद्रप्रयाग समेत अन्य स्थानों पर भ्रमण किया था। इंस्टाग्राम पर सक्रिय था और लगातार फोटो और वीडियो पोस्ट करता रहता था। लेह से भी फोटो अपलोड किए थे।