मुजफ्फरनगर में अपर आयुक्त चकबंदी अनुराग पटेल ने जिले में चकबंदी के कार्यों की प्रगति को खराब मानते हुए लापरवाही पर दो चकबंदी लेखपालों और दो चकबंदीकर्ता को निलंबित करने के निर्देश दिए। उन्होंने एक चकबंदी अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और एक चकबंदी अधिकारी के विरुद्ध आरोप पत्र जारी करने के निर्देश दिए।
शुक्रवार को विकास भवन में चकबंदी कार्यों की समीक्षा बैठक में अपर आयुक्त चकबंदी अनुराग पटेल और चकबंदी अधिकारी रेहान सिद्दीकी ने जिले की स्थिति को अत्यंत खराब माना। चकबंदी के कार्यों की प्रगति को अधिक खराब बताते हुए पाया कि 26 गांवों में केवल एक गांव में ही प्रगति हो पाई। गांव अटाली में 40 साल से चकबंदी प्रक्रिया लंबित है। चक आवंटन के विरुद्ध 227 चक आपत्तियों का निस्तारण चकबंदी अधिकारी ने छह वर्ष में भी नहीं किया। इसके लिए तत्कालीन चकबंदी अधिकारी अनुज सक्सेना को दोषी मानते हुए उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर अनुशासनात्मक कार्रवाई के निर्देश दिए।
बैठक में पाया गया कि गांव टोडा में 34 वर्ष से चकबंदी चल रही। यहां कोर्ट के स्थगन आदेश को निरस्त कराने का कोई प्रयास नहीं किया गया। आलमपुर में स्वत्व विभाग को 85 निगरानी, ग्राम मुथरा में 36 निगरानी, ग्राम पीपलशाह में चार निगरानी का निस्तारण कराने करने के उप संचालक चकबंदी को निर्देश दिए गए।
इस मामले में हुआ निलंबन
समीक्षा बैठक में पाया गया कि गांव ढिंढावली में दस साल से चकबंदी चल रही है। धारा दस के प्रकाश के बाद भी नक्शा 23 तैयार नहीं किया गया। इससे चक निर्माण कार्य प्रभावित हुआ। अपर आयुक्त ने चकबंदीकर्ता शिवराजसिंह और चकबंदी लेखपाल अनिरुद्ध शर्मा को दोषी मानते हुए दोनों को निलंबित करने के निर्देश दिए। गांव दूधली में भी नक्शा 23 तैयार नहीं करने पर चकबंदी कर्ता सहेंद्र कुमार और लेखपाल अर्जुन सिंह को दोषी माना गया और दोनों को निलंबित करने के निर्देश दिए गए। गांव संभलहेड़ा में चक निर्माण में 85 चक आपत्ति का निस्तारण नहीं करने पर तत्कालीन चकबंदी अधिकारी गिरिशचंद के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति की गई। बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी विजय कुमार ने बताया कि अपर आयुक्त के निर्देश सभी संबंधित पर कार्रवाई हो रही है।