मुजफ्फरनगर। शाहपुर के गांव सौरम में युवती से छेड़छाड़ के बाद गांव में हुई पंचायत में हमले के मामले में बुढ़ाना के पूर्व विधायक उमेश मलिक समेत छह आरोपियों को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। कोर्ट में मामले के विचाराधीन के दौरान एक आरोपी की मौत हो गई थी। कोर्ट में वादी पक्ष के दोनों गवाह अभियोजन की कहानी का समर्थन नहीं कर पाए। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता श्यामवीर सिंह ने बताया कि दंगे से पहले शाहपुर थाना क्षेत्र के गांव सौरम में एक युवती से छेड़छाड़ हुई थी। उसके बाद सौरम गांव में 20 अगस्त 2013 को एक पंचायत का आयोजन किया गया था। इसमें बुढ़ाना विधानसभा सीट से पूर्व विधायक उमेश मलिक भी शामिल हुए थे। आरोप था कि पंचायत के बाद आरोपियों ने गांव के वाजिद के घर पर हमला कर उसके चाचा को घायल कर दिया था। उसके बाद थाने पर पूर्व विधायक उमेश मलिक, सम्राट, मनीश, सुधीर, बिजेन्द्र, रामपाल व नीरज के खिलाफ जानलेवा हमला, बलवा व साम्प्रदायिक भाषण देने का मामला दर्ज कराया गया था। शाहपुर पुलिस ने इस मामले में विवेचना करते हुए सभी को क्लीन चिट दे दी थी। हालांकि दो माह सभी को कोर्ट में सीआरपीसी की धारा 319 में तलब कराया गया था। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता ने दोनों कोर्ट में वादी व दूसरा गवाह अभियोजन की कहानी को समर्थन नही कर पाया। मामले की सुनवाई एमपीएमएलए कोर्ट के न्यायाधीश देवेन्द्र फौजदार की कोर्ट में हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पूर्व विधायक समेत छह आरोपियों को 12 साल बाद साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। इस मामले में एक आरोपी सम्राट की मौत हो चुकी है।