मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर में एक महिला ने एडीएम पर उत्पीड़न, धमकी देने और अन्य गंभीर आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इच्छामृत्यु की इजाजत मांगी है। महिला का कहना- एडीएम फाइनेंस गजेंद्र कुमार मेरा मानसिक उत्पीड़न कर रहे हैं। मुझे घर आकर धमकाया जा रहा है। इसके चलते अब जीने की इच्छा खत्म हो चुकी है। मेरठ के मवाना की रहने वाली इमरानी पत्नी जमील अहमद ने डीएम मुजफ्फरनगर को इस पूरे मामले का प्रार्थना पत्र दिया।

इमरानी ने आरोप लगाया कि मुआवजे की मांग करने पर झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही है। उन्हें और उनके परिवार को समाज में अपमानित किया जा रहा है। इससे वह मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। एडीएम गजेंद्र कुमार और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की कोई उम्मीद नहीं दिख रही है। इसलिए वह उच्चतम न्यायालय से इच्छामृत्यु की इजाजत चाहती हैं। इमरानी के पति दिल्ली में प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं। इमरानी के 4 बच्चे हैं। इनमें 3 लड़कियां और 1 लड़का है। बेटा कक्षा 6 में पढ़ रहा है।

भूमि अधिग्रहण से जुड़ा है मामला ये पूरा मामला जानसठ तहसील इलाके के बसेड़ा गांव की भूमि अधिग्रहण से जुड़ा है। पीड़िता इमरानी और उनकी बहन इरफानी की भूमि का अधिग्रहण नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने किया था।

भूमि का मुआवजा देने का वादा किया गया था, लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया। इमरानी का कहना है कि अपने अधिकारों की मांग करना जैसे उनके और उनकी बहन के लिए सबसे बड़ा गुनाह बन गया है। मुआवजे की मांग करने पर प्रशासनिक अधिकारियों से धमकियां मिल रही हैं। इसके चलते वह उत्पीड़न से तंग आ चुकी हैं।

अफसर घर आकर इशारों में धमकी दे रहे अफसर इमरानी का आरोप है कि एडीएम फाइनेंस गजेंद्र कुमार ने जानबूझकर उनकी भूमि के मुआवजे का भुगतान कम कर दिया। साथ ही मुझ पर अपनी मांगों को वापस लेने के लिए दबाव डाल रहे हैं। घर आकर एडीएम के इशारे पर अधिकारियों ने मुझे धमकी भी दी।

मेरे साथ कुछ हुआ तो एडीएम फाइनेंस होंगे जिम्मेदार इमरानी ने कहा, मुझसे कहा जा रहा है कि अगर मैंने अपनी याचिका वापस नहीं ली, तो मेरा मुआवजा खारिज कर दिया जाएगा। मेरी स्थिति अब ऐसी हो चुकी है कि अपने परिवार के साथ जीने की कोई उम्मीद नहीं रखती। अगर मेरे साथ कुछ भी गलत घटित होती है, तो इसके लिए एडीएम गजेंद्र कुमार और उनके साथ जुड़े अधिकारी पूरी तरह से जिम्मेदार होंगे।

एडीएम बोले- उचित मुआवजा दिया जा चुका है

अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गजेंद्र सिंह ने बताया, महिला का जो उचित भूमि अधिग्रहण का मुआवजा है वह दिया जा चुका है। वही बनता था। महिला पहले से मेरठ में रह रही है। विस्थापन का कोई मामला नहीं है। इसलिए विस्थापन का मुआवजा नहीं दिया जा सकता।

महिला के सारे आरोप निराधार हैं

महिला का कहना है कि सरकार द्वारा एक विस्थापन का मुआवजा मिलता है, वह भी हमें दिया जाए। यह 5 लाख होता है। परिवार इस श्रेणी में नहीं आता है। महिला के आरोप निराधार हैं। महिला ने हाईकोर्ट में अपील की थी। माननीय न्यायालय को भी मामले से अवगत कराया जा चुका है।

हाईकोर्ट के आदेश के बाद नहीं मिल रहा मुआवजा इमरानी के अधिवक्ता सचिन धीमान ने बताया- इमरानी की लैंड मुंझेडा तहसील जानसठ के अंदर है। इस पर 5 दुकानें बनी हैं। वह जमीन अकृषित घोषित है। इसका मुआवजा इन्हें कृषि भूमि में दिया गया है। उस पर 4500 रुपए प्रतिवर्ग मीटर का मुआवजा बनाया है। वो मुआवजा एडीएम साहब इन्हें नहीं दे रहे हैं।

हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद एडीएम मुआवजा रोके हैं। इनको जब हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना का नोटिस मिला, तो इन्होंने नाराज होकर पीड़िता के घर आदमी भेजकर उन्हें धमकाया। पीड़िता का उत्पीड़न किया जा रहा है। अब हम सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं।