लखीमपुर खीरी के निघासन तहसील के गांव ग्रंट नंबर 12 में शारदा नदी ने फिर तबाही मचाई है। बुधवार को नदी कटान के चलते गांव के 10 मकान बहकर नष्ट हो गए। जिन परिवारों के घर नदी में समा गए, उनमें नेकपाल, रमाशंकर, सर्वेश, रामप्यारी, प्रमोद, कालिका, श्रीकांत, देवकी, रामसागर और खुशीराम शामिल हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि पिछले डेढ़ माह से शारदा नदी तेज कटान कर रही है। अब तक 80 से अधिक मकान कटान की चपेट में आ चुके हैं। साथ ही गांव के दो प्राचीन मंदिर, एक मुख्य और दो लिंक सड़कें, तथा 20 बिजली के खंभे भी नदी में बह गए हैं। इस समय नदी का जलस्तर थोड़ा कम हुआ है, लेकिन कटान का खतरा अभी भी बरकरार है। कटान के मुहाने पर अब भी आधे से अधिक मकान खड़े हैं। बेघर हुए परिवारों ने सड़कों के किनारे अस्थायी आश्रय ले रखा है।
गांव के बीच बह रही सड़क भी सोमवार को नदी में समा गई थी। मंगलवार को खुशीराम का आधा मकान कटान में आ गया। उन्होंने बताया कि बच्चों को सुरक्षित स्थान पर पहले ही ले जाया गया है और गृहस्थी का सामान इधर-उधर बिखरा हुआ है। तहसीलदार मुकेश वर्मा ने बताया कि ग्रामीणों को ऊंची जगहों पर शरण लेने की सलाह दी गई है और लेखपाल को रोजाना कटान की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
बिजुआ ब्लॉक की ग्राम पंचायत जौहरा गुजारा के मजरा सिंधिया फॉर्म में भी पिछले 15 दिनों से नदी कटान जारी है। यहां सत्यपाल, राजकुमार, दुर्गा प्रसाद, हरिकिशुन और राजाराम सहित 13 मकान नदी में समा गए हैं। नंदू और छांगुर के मकान भी खतरे में हैं। नदी ने लगभग 50 एकड़ कृषि भूमि निगल ली है, जिससे गन्ना और धान की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं।
पिछले साल भी शारदा नदी के कटान के कारण चकपुरवा, नयापुरवा और कोरियाना गांवों का अस्तित्व समाप्त हो गया था। प्रभावित लोग ऊंची जगहों पर शरण ले रहे हैं, जबकि कुछ परिवार रूरा सुल्तानपुर और दाउदपुर में रहने को मजबूर हैं।