उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती और संवेदनशील जिला बलरामपुर एक बार फिर सुर्खियों में है। अवैध धर्मांतरण के बाद अब यहां से टेरर फंडिंग का मामला सामने आया है। जांच में पता चला है कि साइबर ठगी के जरिए स्थानीय लोगों के बैंक खातों में पैसा जमा कराया गया, जिसे बाद में सीधे पाकिस्तान भेजा गया।
पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए चार युवकों से पूछताछ के बाद इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ। सूत्रों के अनुसार अब तक करीब 100 बैंक खातों की जानकारी मिली है, जिनमें लगभग 50 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। इन खातों की कड़ियां रायबरेली साइबर फंडिंग केस से भी जुड़ती दिख रही हैं, जिसमें 700 करोड़ रुपये की फंडिंग की बात सामने आ चुकी है।
गौरतलब है कि इससे पहले एक मीडिया रिपोर्ट की श्रृंखला में बलरामपुर का नाम आतंकी फंडिंग से जोड़ा गया था, लेकिन तब स्थानीय प्रशासन ने इसे खारिज कर दिया था। अब एटीएस और अन्य एजेंसियों की जांच में मामला पुख्ता होता दिख रहा है।
चार गिरफ्तार, दिल्ली कनेक्शन की जांच
एसपी विकास कुमार ने बताया कि चार संदिग्धों के खिलाफ ललिया थाने में मामला दर्ज किया गया है और पूछताछ में कई अहम जानकारियां मिली हैं। इनसे पता चला है कि साइबर ठगी से प्राप्त रकम को पाकिस्तान ट्रांसफर किया जा रहा था। जांच के लिए एक टीम दिल्ली भी भेजी गई है। फिलहाल पूरे मामले की तह तक पहुंचने की कोशिश की जा रही है।
दिल्ली से संचालित हो रहा था नेटवर्क
ललिया थाने में तैनात दरोगा बब्बन यादव की ओर से 18 जुलाई को रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी कि पांच स्थानीय युवक लोगों को बहला-फुसलाकर उनके नाम पर बैंक खाते खुलवा रहे हैं। 19 जुलाई को पुलिस ने ललिया के काशीपुर निवासी सत्यदेव, अहलाद नगर के लवकुश वर्मा, भैयाडीह विशुनपुर के जय प्रकाश यादव और फतेहगढ़ के उगरपुर सुल्तानपट्टी निवासी प्रदीप कुमार सिंह को गिरफ्तार किया।
पूछताछ में सामने आया कि इस रैकेट का सरगना दिल्ली में बैठा एक शख्स है, जिसके पास पाकिस्तान के सात मोबाइल नंबर हैं और वह इन्हीं नंबरों पर नियमित संपर्क में रहता है। वह तय करता था कि कब और किस खाते में पैसा भेजा जाएगा।