नैनीताल जिले में ओखलकांडा के कालाआगर गांव में जन्मे वरिष्ठ लेखक, पत्रकार और विज्ञान कथाकार 73 वर्षीय देवेंद्र मेवाड़ी को साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार मिलने से जिला गौरवान्वित है।
किशन सिंह मेवाड़ी और तुलसा देवी के बेटे देवेंद्र की प्रारंभिक शिक्षा काला आगर गांव के प्राथमिक विद्यालय में हुई। वह तीन भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। ओखलकांडा के इंटर कॉलेज से 12वीं की शिक्षा ग्रहण करने के बाद वह उच्च शिक्षा के लिए नैनीताल के डीएसबी कॉलेज में आ गए। वहां से उन्होंने वनस्पति विज्ञान में एमएससी किया।
अब तक 30 किताबें लिख चुके हैं मेवाड़ी
मेवाड़ी ने हिंदी में एमए करने के साथ-साथ राजस्थान विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया। वह 22 साल तक पंजाब नेशनल बैंक में पीआरओ भी रहे। मेवाड़ी अब तक 30 किताबें लिख चुके हैं जिसमें से 27 विज्ञान से संबंधित और तीन संस्मरण हैं। ‘मेरी यादों का पहाड़’ उनका आत्मकथात्मक संस्मरण है।
फोन पर हुई बातचीत में मेवाड़ी ने कहा कि वह साहित्य की कलम से विज्ञान लिखते हैं। इससे उनका लिखा विज्ञान सरस होता है। आमजन को किस्से-कहानी की तरह रोचक लगता है। लेखन के इन प्रयोगों को इनकी प्रमुख कृतियों में बखूबी देखा जा सकता है।
इनमें ‘विज्ञान और हम’, ‘विज्ञाननामा’, ‘मेरी विज्ञान डायरी’ ‘मेरी प्रिय विज्ञान कथाएं’, ‘फसलें कहें कहानी’, ‘विज्ञान बारहमासा’, ‘विज्ञान जिनका ऋणी है’, ‘सूरज के आंगन में’, ‘सौरमंडल की सैर’ आदि शामिल हैं। मेवाड़ी ने कई विज्ञान पत्रिकाओं, वैज्ञानिक पुस्तकों का संपादन, अनुवाद भी किया है। उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
इनमें केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा का प्रतिष्ठित आत्माराम पुरस्कार, हिंदी अकादमी दिल्ली का ‘ज्ञान-प्रौद्योगिकी सम्मान’, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का राष्ट्रीय विज्ञान लोकप्रियकरण पुरस्कार, भारतेंदु राष्ट्रीय बाल साहित्य पुरस्कार आदि शामिल हैं। विज्ञान की गुत्थियों को पठनीय साहित्य बना देने वाले देवेंद्र की हिंदी और साहित्य में भी बराबर की रुचि है। उनका विज्ञान लेखन उच्च कोटि का साहित्य रहता है। मेवाड़ी जी की सबसे अधिक प्रसिद्ध पुस्तक -मेरी यादों का पहाड़-है।