पथिक प्रेम की राह अनूठी,
हमको उस पर बढ़ना है।
पग में फूल मिलें या कांटे,
सबको संग ले चलना है।
पथिक प्रेम की रीत अनूठी,
सोच समझ पग धरना है।
विश्वासों की नाव भंवर में,
साहस से पार उतरना है।
पथिक प्रेम की प्रीत अनूठी,
तन्हां जीवन अपना है।
लिए आस का दीप जगत में,
तन्हाई से बचना है।
पथिक प्रेम की बात अनूठी,
झरता खुशियों का झरना है।
सुख दुःख रहते एक संग,
ईश्वर की यह वन्दना है।
डॉ अ कीर्तिवर्धन