पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के आसपास का पानी और हवा जहरीली – प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के आसपास के पानी के साथ हवा भी जहरीली हो गई है। भूजल लगातार खराब होता जा रहा है। इस बार सबसे बड़ा दुष्प्रभाव जमीन की उर्वरा शक्ति पर मिला। इसके आसपास के कई गांवों में जमीन में जिंक और निकिल की मात्रा बढ़ रही है। यह जमीन की उर्वरा शक्ति के लिए खतरनाक है। संयुक्त टीम ने इसका बड़ा कारण थर्मल की राख को माना है। संयुक्त टीम ने इसकी जांच रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को दी है।

जमीन के प्रयोग का एक्शन प्लान मांगा
इधर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने थर्मल प्रशासन से राख उठाने और इस जमीन के प्रयोग का एक्शन प्लान मांगा है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने एक केस की सुनवाई करते हुए एक संयुक्त कमेटी गठित कर थर्मल पावर स्टेशन पानीपत के आसपास के तीन प्वाइंटों पर रिपोर्ट मांगी थी। इसमें हवा, पानी और जमीन के पोषक तत्वों की पड़ताल करनी थी। संयुक्त टीम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निदेशक सुनील दवे, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ कमलजीत, प्रशासन से नायब तहसीलदार पानीपत बलवान सिंह की संयुक्त टीम बनाई। टीम ने श्रीराम इंस्ट्रीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च सेंटर दिल्ली की मदद ली।

सात ट्यूबवेल और मिट्टी के पांच जगह से सैंपल लिए
संयुक्त टीम ने 149 पेज की रिपोर्ट सौंपी एनजीटी ने 29 सितंबर 2022 को पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के आसपास के सैंपल लेने के आदेश दिए थे। इसकी एक महीने में रिपोर्ट मांगी थी। प्रशासन ने इसका अध्ययन करने के लिए समय मांगा था। एक केस के अनुसार थर्मल की राख उड़ने से आसपास के गांवों में हवा, पानी और जमीन खराब हो रही है। संयुक्त टीम ने दिसंबर 2022 में मौका मुआयना कर 16 जनवरी 2023 को रिपोर्ट जमा कराई। टीम ने हवा जांचने के लिए थर्मल के आसपास आठ, भूजल के लिए पांच स्थानों से सात ट्यूबवेल और मिट्टी के पांच जगह से सैंपल लिए।

सैंपलों की रिपोर्ट को चिंताजनक

संयुक्त टीम ने अपनी रिपोर्ट में सैंपलों की रिपोर्ट को चिंताजनक बताया है। टीम ने दी रिपोर्ट में बताया कि एयर क्वालिटी के सैंपल फेल आए हैं। एनएएक्यू स्टैंडर्ड के मानकों से अधिक मिली है। कुछ जगह पीएम-2.5 और पीएम-10 अधिक मिले हैं। पीएम-10 की मात्रा 155 से 432 के बीच है, जबकि इसकी स्टैंडर्ड मात्रा 100 यूजी में होनी चाहिए। पीएम 2.5 की स्टेंडर्ड मात्रा 60 यूजी होती है। यहां 66 से 275 यूजी तक मिली है।

टीम ने रिपोर्ट में लिखा है कि शहर के अन्य हिस्सों से थर्मल के आसपास के क्षेत्र में पीएम-2.5 और पीएम-10 अधिक मिला है। अन्य स्थानों पीएम-2.5 की मात्रा 66 से 275 यूजी मिली है। हवा में निकिल की मात्रा 27 से 30 एनजी मिली है। सामान्यत: इसकी मात्रा 20 एनजी होनी चाहिए।

ट्यूबवेल के पानी मानकों पर खरा नहीं

भूजल के लिए पांच जगहों से सात ट्यूबवेलों से पानी सैंपल लिए हैं। यहां एक ट्यूबवेल के पानी मानकों पर खरा नहीं है। पांच जगहों से मिट्टी के सैंपल लिए गए। निकिल और जिंक की मात्रा ज्यादा मिली। इसका मुख्य कारण राख को विशेष तरीके से न रख पाना माना जा रहा है।

मिट्टी की गुणवत्ता खराब हो रही है। थर्मल ने संयुक्त टीम को राख के उठान संबंधी रिपोर्ट दी है। थर्मल प्रशासन ने बताया कि थर्मल के आसपास झील में 137 लाख मीट्रिक टन राख पड़ी है। इसे उठाने में तीन साल लगेंगे। यह राख सीमेंट और सड़क बनाने में प्रयुक्त की जाती है।

क्षेत्रीय अधिकारी के अनुसार
एनजीटी में चल रहे एक केस के दौरान संयुक्त टीम से पानीपत थर्मल पावर स्टेशन के आसपास मिट्टी, पानी व हवा के सैंपल लिए थे। इसकी रिपोर्ट एनजीटी को दे दी है। थर्मल प्रशासन ने तीन साल में राख उठाने का भरोसा दिया है

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