कोरोना की जंग में ड्रोन की मदद से पहाड़ी इलाकों में पहुंचाई जाएगी वैक्सीन, ट्रायल का काम शुरू

ड्रोन के जरिए वैक्सीन को दूर पहाड़ी गांवों तक पहुंचाने का पहला ट्रायल पिछले महीने नवंबर में किया गया था. पहले ट्रायल में एक फिक्स्ड विंग ड्रोन आइस बॉक्स में मेडिसिन बॉक्स को लेकर देहरादून से मसूरी गया था. इस दौरान ड्रोन को करीब एक घंटे का समय लगा.

कोरोना वैक्सीन को लेकर भारत ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. सभी राज्य भी वैक्सीन बांटने को लेकर अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं. इस बीच पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में ड्रोन के जरिए वैक्सीन को दूर पहाड़ी गांवों तक पहुंचाने का ट्रायल किया जा रहा है.

ड्रोन के जरिए वैक्सीन को दूर पहाड़ी गांवों तक पहुंचाने का पहला ट्रायल पिछले महीने नवंबर में किया गया था. पहले ट्रायल में एक फिक्स्ड विंग ड्रोन आइस बॉक्स में मेडिसिन बॉक्स को लेकर देहरादून से मसूरी गया था. इस दौरान ड्रोन को करीब एक घंटे का समय लगा.

उत्तराखंड ड्रोन ऐप्लिकेशन ऐंड रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर अमित सिन्हा ने कहा कि ड्रोन से वैक्सीन डिलिवर करना एक प्रभावी और समय की बचत वाला तरीका हो सकता है. साथ ही कहा कि उनकी पहली कोशिश दूर पहाड़ी गांवों में वैक्सीन पहुंचाना है.

इससे पहले पिछले साल जून महीने में एक अनमैंड एरियल व्हीकल के जरिए टिहरी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से करीब 36 किलोमीटर दूर ब्लड सैंपल भेजे गए थे. उन्होंने कहा कि सड़क के रास्ते करीब 70 से 100 मिनट का समय लगा, वहीं ड्रोन की मदद से इसे महज 18 मिनट में पहुंचा दिया गया.

अमित सिन्हा ने कहा कि वैक्सीन को -5 से -80 डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर करने की भी जरूरत है. साथ ही कहा कि तापमान को कंट्रोल करने की दिशा पर काम किया जा रहा है और अभी तक हम इसे 5 से 7 डिग्री तापमान तक मैनेज कर चुके हैं. इसके अलावा इस प्रकिया को शुरू करने से पहले राज्य को डीजीसीए से अनुमति लेनी होगी.

बता दें कि उत्तराखंड ने अपने 94,000 हेल्थवर्कर्स के वैक्सीनेशन की लिस्ट केंद्र सरकार को भेज चुका है. 94,000 हेल्थवर्कर्स की इस लिस्ट में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, मेडिकल छात्र, आशा वर्कर, एएनएम और दूसरे स्वास्थ्य कर्मचारी शामिल हैं.

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