अखंड रामायण और दुर्गा सप्तशती से यूपी में हुई 2024 की घेराबंदी

चैत्र नवरात्र में उत्तर प्रदेश के हर मंदिर में ‘दुर्गा सप्तशती’ और रामनवमी पर “अखंड रामायण” का पाठ होगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिले के लिए एक लाख रुपये का बजट भी तय कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने चैत्र नवरात्र में ऐसा आदेश पहली बार दिया। सियासी गलियारों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि योगी सरकार ने ऐसा आदेश देकर न सिर्फ अपने एजेंडे को स्पष्ट किया है, बल्कि विपक्ष को बोल्ड भी किया है। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान देकर न सिर्फ उसकी चौपाइयों को हटाने बल्कि प्रतिबंधित करने की मांग की थी। उसी रामचरितमानस के अब प्रदेश के सभी मंदिरों में अखंड रामायण पाठ के तौर पर के जाने से भाजपा ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने विपक्ष को दिया संदेश

अगले कुछ दिनों में चैत्र नवरात्र की शुरुआत होने जा रही है। इसी के साथ उत्तर प्रदेश के हर जिले के मंदिरों में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाएगा और अखंड रामायण होगी। राजनीतिक विश्लेषक अनिरुद्ध तिवारी का मानना है कि सरकारी आदेश भले इस साल दिया गया हो, लेकिन चैत्र नवरात्र में सिर्फ उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश के मंदिरों में पूजा-पाठ और कीर्तन तो होते ही रहते हैं। अनिरुद्ध का कहना है कि लेकिन सरकारी आदेश देकर उत्तर प्रदेश सरकार ने विपक्ष को एक संदेश जरूर दिया है कि जिस रामचरितमानस को लेकर विवाद पैदा किया जा रहा था उस पर उनका रुख क्या है। सियासी जानकार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से प्रत्येक जिले को एक एक एक लाख रुपये के बजट के साथ दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण कराने की घोषणा करना चुनावी साल में सियासी नजरिए से तो देखा ही जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में इससे पहले भी सावन के महीने में कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा होती रही है। अयोध्या में दीपक जलाए जाते हैं। काशी विश्वनाथ में दिव्य और भव्य आरतियां होती हैं। सिर्फ यही नहीं सरकार की ओर से भक्तों पर प्रयागराज के संगम से लेकर मथुरा काशी वृंदावन जैसे तमाम धार्मिक स्थलों पर अलग-अलग महीनों में बड़े आयोजन होते हैं और भक्तों पर पुष्प वर्षा होती है। शुक्ला कहते हैं लेकिन इस आदेश के सियासी मायने भी हैं और सियासी संदेश भी है। वह कहते हैं कि जिस तरीके से समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को निशाने पर लेकर विवादित बयान दिए उसके बाद जो तीखी प्रतिक्रिया भाजपा की ओर से दी गई, यह आदेश उसी का एक अगला भाग माना जा सकता है। दरअसल समाजवादी पार्टी ने रामचरित मानस की चौपाइयों के माध्यम से जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश की थी। वह कहते हैं कि उन्हीं जातिगत समीकरणों के लिहाज से उत्तर प्रदेश सरकार के इस आदेश को देखा जाए, तो उन्होंने अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे के लिहाज से समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दलों को करारा जवाब दिया है।

छत्तीसगढ़ और एमपी में कांग्रेस ने भी कराए ऐसे आयोजन

कांग्रेस पार्टी से ताल्लुक रखने एक वाले वरिष्ठ नेता कहते हैं कि छत्तीसगढ़ में उनकी सरकार इस तरीके के आयोजन करती ही है। वह कहते हैं अगर अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है, तो छत्तीसगढ़ भी भगवान राम का ननिहाल है। यही वजह है कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के मंदिरों में अखंड रामायण का पाठ कराया। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस ने ऐसे आयोजन किए हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कहते हैं कि सरकार के इस कदम का स्वागत है, लेकिन उन्होंने कम बजट पर सवाल उठाया। अखिलेश ने कहा कि जिलाधिकारियों को दस करोड़ रुपये का बजट दिया जाए। ताकि सभी धर्मों के धार्मिक त्योहारों का आयोजन हो सके।

राजनैतिक विश्लेषक जटाशंकर सिंह कहते हैं कि सरकार के इस कदम को कोई भी विपक्षी दल सिरे से खारिज नहीं कर सकता है। क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनावों में दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण पढ़ने वालों के वोट भाजपा को भी चाहिए और समाजवादी पार्टी को भी चाहिए, साथ ही कांग्रेस को भी चाहिए। सिंह कहते हैं कि ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने आधिकारिक तौर पर दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण का पाठ कराने का आदेश जारी करके एक मायने में विपक्ष को तो बोल्ड कर ही दिया है। क्योंकि कोई विपक्षी दल इस कदम को खारिज नहीं कर रहा है। उनका मानना है कि भारतीय जनता पार्टी ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान के बाद अखंड रामायण पाठ कराने का फैसला करके समाजवादी पार्टी और विपक्ष के दूसरे दलों को संदेश देकर फिलहाल लीड तो ले ही ली है।

लखनऊ स्थित निशातगंज मंदिर के मुख्य पुजारी और अखिल भारतीय पुजारी महासभा के संरक्षक पंडित प्रदीप तिवारी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने यह आदेश देकर एक बड़ा काम किया है। उनका कहना है कि चैत्र नवरात्र में प्रमुख मंदिरों में इस तरीके के आयोजन तो होते ही रहते थे, लेकिन सरकार के आदेश के बाद अब उन मंदिरों में भी पूजा-पाठ और कीर्तन समेत अखंड रामायण हो सकेगी जो उतने प्रसिद्ध नहीं थे। पंडित प्रदीप तिवारी कहते हैं कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के सभी मंदिरों में इस तरीके के आयोजनों के लिए अपने संगठन जुड़े लोगों को आदेश आने के बाद बुधवार को वर्चुअल बैठक भी की है। ताकि सभी मंदिरों में पूजन और अखंड पाठ हो सके।

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