नई दिल्ली। देशभर में शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्रि सोमवार से आरंभ हो गया। नौ दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व होता है। भक्तजन कलश स्थापना कर अखंड ज्योति प्रज्वलित करते हैं और मां के मंत्रों का जाप कर आरती उतारते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करना शुभ फलदायी माना जाता है। इसी रंग को मां शैलपुत्री का प्रतीक माना गया है। इस अवसर पर भक्त ‘ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः’ मंत्र और शैलपुत्री स्तोत्र का पाठ कर देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।
भोग और आराधना की विधि
भक्तजन मां शैलपुत्री को खीर, रबड़ी, सफेद मिठाइयाँ और घी से बने प्रसाद अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इन भोगों से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पूजा की शुरुआत स्नान और पवित्र वस्त्र धारण कर की जाती है। इसके बाद चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर कलश स्थापना और गणेश पूजन किया जाता है।
माता के श्रृंगार में चंदन, कुमकुम, सिंदूर, अक्षत और फूल अर्पित किए जाते हैं। पूजा के दौरान मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप, दीप प्रज्वलन और आरती के साथ शंखनाद-घंटी बजाई जाती है। अंत में भक्तजन खीर या दूध से बने अन्य प्रसाद का भोग लगाकर सभी में वितरण करते हैं।
श्रद्धा और संस्कृति का संगम
नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का उत्सव भी है। नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों का पूजन कर शक्ति, धैर्य और आशीर्वाद की कामना करते हैं।