छत्तीसगढ़ः कांग्रेसी नेताओं ने थाने में किया पत्रकारों पर जानलेवा हमला, कहा- जो लिखेगा वो मरेगा

कांकेर। वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला कांग्रेसी नेताओं के जानलेवा हमले में गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। कमल पर हमला उस वक्त हुआ जब वे कांकेर शहर के पुलिस थाने के पास कुछ दूसरे पत्रकारों के साथ खड़े होकर बातचीत कर रहे थे। शनिवार को कांकेर कोतवाली के पास दिनदहाड़े हुए इस हमले में वह बुरी तरह जख्मी हो गए, उनके सर में गंभीर चोट आई है।

इससे पहले शनिवार सुबह कांकेर के एक स्थानीय पत्रकार के साथ कुछ पार्षदों ने मारपीट की थी। पार्षदों ने पत्रकार को उनके घर के पास से उठाया और पीटते हुए थाने तक ले आए। यही नहीं दबंग पार्षदों ने उन्हें थाने के अंदर भी मारा-पीटा। पार्षदों की इस गुण्डागर्दी के खिलाफ प्रेस क्लब कांकेर के करीब 50 से अधिक पत्रकार अपना विरोध दर्ज कराने कोतवाली पहुंचे थे।

इससे पहले कि पत्रकार पुलिस से कार्रवाई की मांग करते कोतवाली परिसर में बदमाशों की भीड़ जमा हो गई। इसी दौरान विधायक प्रतिनिधि गफ़्फ़ार मेमन और कांग्रेस नेता गणेश तिवारी ने कोतवाली के पास ही अपने साथी पत्रकारों से चर्चा कर रहे वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ला से गालीगलौच और मारपीट शुरू कर दी।

गौरतलब है कि पत्रकार कमल शुक्ला लंबे समय से छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर संघर्षरत रहे हैं। कमल शुक्ला पर हुए इस हमले की पत्रकारों ने कड़ी निंदा की है। उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से दोषियों के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए ऐसा न होने की स्थिति में प्रदेश भर में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने ‘भूमकाल समाचार’ के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार कमल शुक्ल पर पुलिस की मौजूदगी में हुए हमले को कांग्रेसी गुंडों की कार्रवाई बताया है। पार्टी ने जानलेवा हमले की कड़ी निंदा की है और दोषियों की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की है। सीपीएम ने जिम्मेदार पुलिस अफसरों और इन भ्रष्ट तत्वों को संरक्षण देने वाले मंत्री को भी हटाने की मांग की है।

माकपा के राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि थाना परिसर के अंदर ही पुलिस की मौजूदगी में इन असामाजिक तत्वों ने उनकी कनपटी पर पिस्तौल टिकाई और गाली-गलौच करते हुए घसीटकर बाहर ले आए। इसके बाद उनके गले में पेचकस घुसाकर जान से मारने का प्रयास किया गया। इतना होने के बाद भी पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इससे साफ है कि इन तत्वों को पुलिस और सत्ता का पूरा संरक्षण हासिल है।

उन्होंने कहा कि कमल शुक्ल आदिवासी हितों के लिए संघर्षरत एक चर्चित पत्रकार है। पिछले भाजपा राज के समय भी सलवाजुडूम की ज्यादतियों को उजागर करने के कारण उन्हें सत्ता पक्ष का कोपभाजन बनना पड़ा है। पिछले कई वर्षों से वे पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की मांग पर संघर्षरत हैं और चुनावों के समय कांग्रेस ने इस मांग को पूरा करने का वादा भी किया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद वह इस वादे को पूरा करने से मुकर रही है।

संजय पराते ने कहा कि हमलावर कांग्रेसियों के साथ मंत्रिमंडल के एक नेता के घनिष्ठ संबंध हैं और यह मानने के पर्याप्त कारण हैं कि पूरा हमला सुनियोजित ढंग से किया गया है। पिछले कुछ दिनों से वे कांकेर में रहकर लॉक-डाउन के दौरान आम जनता को मिलने वाली सहायता में प्रशासन द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार, रेत खनन के नाम पर सत्ताधारी पार्टी के लोगों द्वारा किए जा रहे घोटालों और आदिवासी विकास योजनाओं के नाम पर हो रही लूट को उजागर कर रहे थे।

इससे वे सत्ताधारी पार्टी के नेताओं, प्रशासन के भ्रष्ट अधिकारियों और स्थानीय माफिया तीनों के ही निशाने पर थे और इन तीनों का गठजोड़ ही इस हमले के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम का वायरल वीडियो हमलावरों की पहचान करने के लिए काफी है और इन्हें शीघ्र गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

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