‘कोविड से मौत के मामले में मुआवजा कोई इनाम नहीं’, जानिए बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्यों कही ये बात

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि कोरोना से मौत के मामलों में मुआवजा कोई इनाम नहीं है। हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए एक विधवा महिला की याचिका खारिज कर दी। दरअसल महिला के पति की कोरोना महामारी के दौरान मौत हो गई थी। महिला का पति हैंडपंप हेल्पर था और महिला अपने पति की मौत के लिए सरकार से मुआवजा की मांग कर रही थी।

क्या है मामला
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले की निवासी कंचन हमशेट्टे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपने पति की मौत का मुआवजा देने की मांग की थी। महिला ने याचिका में कहा कि उसके पति की मौत अप्रैल 2021 में हुई थी और वह जरूरी सेवाओं के तहत आने वाले काम को कर रहा था। महिला ने दावा किया कि उसके पति को राज्य सरकार द्वारा ही तैनात किया गया था, लेकिन कोरोना की चपेट में आकर वह संक्रमित हो गया और उसकी मौत हो गई। महिला ने हाईकोर्ट से मांग की कि अदालत राज्य सरकार को मुआवजे की उसकी मांग पर विचार करने का आदेश दे। 

हाईकोर्ट ने यह कहकर खारिज की याचिका
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने याचिका खारिज कर दी। जस्टिस रविंद्र घुगे और जस्टिस आर एम जोशी की खंड पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा 50 लाख रुपये के मुआवजे वाली महिला की याचिका खारिज करना गलत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस बात में कोई बहस नहीं है कि ऐसे मामलों को संवेदनशीलता से डील किया जाना चाहिए, लेकिन दूसरी तरफ ये बात भी दिमाग में रखनी चाहिए कि जो लोग हर्जाने के 50 लाख रुपये पाने के हकदार नहीं है, उन्हें ये रकम कोई इनाम के तौर पर नहीं दी जा सकती। अगर ऐसे मामले लापरवाही से डील किए गए तो अयोग्य लोगों को भी करदाताओं के पैसों में से 50 लाख रुपये का मुआवजा मिल जाएगा। 

दरअसल कोरोना महामारी के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने जरूरी ड्यूटी पर लगे कर्मचारियों को 50 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा देने का एलान किया था। जो लोग कोरोना के दौरान सक्रिय ड्यूटी जैसे सर्वे, ट्रेसिंग, ट्रैकिंग, टेस्टिंग और इलाज आदि में लगे उन्हें ही यह दुर्घटना बीमा दिया गया था। 

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