DRDO की दवा 2-DG कल होगी लॉन्च, कोरोना मरीजों के इलाज में आएगी काम

देश में कोरोनावायरस के खिलाफ जंग जारी है. इस बीच सोमवार (कल) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित कोविड रोधी दवा 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) (2-deoxy-D-glucose) का पहला बैच रिलीज किया जाएगा, जोकि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मील का पत्थर साबित हो सकता है. 2-डीजी की पहली खेप को देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जारी करेंगे.

2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज को भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने आठ मई को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी थी. रक्षा मंत्रालय ने बताया था कि मुंह के जरिए ली जाने वाली इस दवा को कोरोनाके मध्यम से गंभीर लक्षण मरीजों के इलाज में इस्तेमाल करने की अनुमति सहायक पद्धति के रूप में दी गई. क्लीनिकल ट्रायल में सामने आया कि 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा अस्पताल में भर्ती मरीजों के जल्द ठीक होने में मदद करने के साथ-साथ अतिरिक्त ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करती है.

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 की चल रही दूसरी लहर की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों को ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है. इस दवा से कीमती जिंदगियों के बचने की उम्मीद है क्योंकि यह दवा संक्रमित कोशिकाओं पर काम करती है. यह कोविड-19 मरीजों के अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि भी कम करती है. इस दवा को डीआरडीओ की प्रतिष्ठित प्रयोगशाला नामिकीय औषिध और संबद्ध विज्ञान संस्थान (INMAS) ने हैदराबाद के डॉ.रेड्डी लेबोरेटरी के साथ मिलकर विकसित किया है.

पानी में घोलकर पीनी होती है दवा

बताया गया है कि सामान्य अणु और ग्लूकोज के अनुरूप होने की वजह से इसे भारी मात्रा में देश में ही तैयार व उपलब्ध कराया जा सकता है. सहायक पद्धति वह इलाज है जिसका इस्तेमाल प्राथमिक इलाज में मदद करने के लिए किया जाता है. 2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है, इसे पानी में घोल कर पीना होता है. डीआरडीओ की 2-डीजी दवा वायरस से संक्रमित कोशिका में जमा हो जाती है और वायरस की वृद्धि को रोकती है. वायरस से संक्रमित कोशिका पर चुनिंदा तरीके से काम करना इस दवा को खास बनाता है.

2-डीजी का इस्तेमाल करने वाले मरीज RT-PCR में निगेटिव आए

दवा के असर के बारे में रक्षा मंत्रालय का कहना है कि जिन लक्षण वाले मरीजों का 2डीजी से इलाज किया गया वे मानक इलाज प्रक्रिया (एसओसी) से पहले ठीक हुए. इस दवा से इलाज करने पर मरीजों के विभिन्न मापदंडों के समान होने में एसओसी के औसतन समय के मुकाबले 2.5 दिन कम समय लगा. क्लीनिकल ट्रायल के नतीजों के मुताबिक, इस दवा से अस्पताल में भर्ती मरीज जल्दी ठीक हुए और उनकी अतिरिक्त ऑक्सीजन पर निर्भरता भी कम हुई. 2-डीजी से इलाज कराने वाले अधिकतर मरीज आरटी-पसीआर जांच में निगेटिव आए. कोविड-19 का सामना कर रहे मरीजों को यह दवा बहुत लाभ पहुंचाएगी.

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