इजराइली सेना में हाल ही में एक गंभीर विवाद ने जोर पकड़ लिया है। बीते सप्ताह सेना की वरिष्ठ अधिकारी मेजर जनरल वकील यिफ्त टोमेर यरूशलमी ने स्वीकार किया कि उन्होंने जेल के निगरानी कैमरों से जुड़े कुछ वीडियो सार्वजनिक किए थे। इन वीडियो में फलस्तीनी कैदियों के साथ इस्राइली सैनिकों द्वारा किए गए कथित दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के दृश्य दिखाई दे रहे हैं। यह मामला सामने आने के बाद सेना और राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।
विवाद की जड़ में क्या है मामला
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लीक हुए वीडियो में कुछ सैनिकों पर फलस्तीनी बंदियों के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। जांच एजेंसियों ने इस मामले में संबंधित सैनिकों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। मेजर जनरल यरूशलमी का कहना है कि वीडियो लीक करने का उद्देश्य आरोपों की गंभीरता को उजागर करना था, जिससे जांच निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ सके। हालांकि उनके इस कदम को सेना की गोपनीयता के उल्लंघन के रूप में देखा जा रहा है।
इस्तीफे और लापता होने से बढ़ा विवाद
विवाद बढ़ने के बाद यिफ्त टोमेर ने भारी राजनीतिक दबाव में अपना इस्तीफा सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने अपने परिवार के नाम एक नोट छोड़कर समुद्र तट से अचानक गायब हो गईं। कई घंटों तक चली खोजबीन और ड्रोन अभियान के बाद उन्हें जीवित बरामद कर लिया गया। वर्तमान में उन्हें हिरासत में रखा गया है।
राजनीतिक विवाद में घिरी यिफ्त टोमेर
वीडियो लीक के बाद दक्षिणपंथी नेताओं ने यिफ्त टोमेर पर सबूत नष्ट करने और आत्महत्या का नाटक करने का आरोप लगाया है। वहीं, जांच के दौरान पूर्व चीफ सैन्य वकील कर्नल मातन सोलोमेश को भी हिरासत में लिया गया है। फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से इस गिरफ्तारी पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
यह मामला अब केवल सेना तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इजराइल में राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है, जहां पारदर्शिता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा की सीमाओं पर सवाल उठने लगे हैं।