इंदौर में जिम खुले पर मेंबर्स में कॉन्फिडेंस लाना बड़ी चुनौती,

कोरोना की दूसरी लहर ने आर्थिक नगरी इंदौर को पूरी तरह से सुस्त कर दिया है। कारोबार के लिए मशहूर इस शहर के बाजार 10 अप्रैल से 31 मई तक पूरी तरह से बंद रहे। इसके बाद बाजार तो धीरे-धीरे खुल गए, लेकिन जिम संचालकों को थोड़ा और वेट करना पड़ा। सोमवार से उन्हें 50% कस्टमर के साथ जिम खोलने की परमिशन दे दी गई। यानी दूसरी लहर में भी इनका धंधा दो महीने तक बंद रहा।

हालांकि जिम संचालकों का कहना है कि अभी करीब एक सप्ताह रुटीन में आने में लग जाएंगे। हमारे सामने सबसे बड़ी चुनाैती एक्सरसाइज करने वालों में फिर से आत्मविश्वास में लाना है। पिछले दो साल ने इस इंडस्ट्री को कोरोना ने तबाह कर दिया है। बता दें, पिछले साल 25 मई से बंद हुए जिम सेंटर अगस्त में ओपन हुए थे।

ट्रांसफार्म जिम के मैनेजर धीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि सरकार का डिसीजन सही था, लेकिन कोरोना फिटनेस इंडस्ट्री के लिए खतरनाक साबित हुआ। शहर में ज्यादातर जिम किराए की बिल्डिंग में चलते हैं। काफी नुकसान के कारण कई कंपनियां तो दिवालिया होकर बिक गईं। कई लोगों के रोजगार चले गए। अब जब यह खुला है, तो हमने पिछली लहर से सबक लेते हुए कम से कम मेंबर को स्लॉट के जरिए एंट्री दे रहे थे। यहां पर मेंबर की थर्मल स्क्रीनिंग के साथ ही सैनिटाइजेशन का विशेष ध्यान दिया जा रहा था। मेंबर का ऑक्सीजन लेवल तक चेक कर रहे थे।

खुलने के साथ ही नई व्यवस्था से मेंबर को एंट्री
श्रीवास्तव ने बताया कि इस बार हमने विशेष व्यवस्था की है। अब यहां हर ट्रेडमिल के बीच में गज की दूरी रखी गई है। इस बार सिर्फ मेंबर को एक घंटे का समय दिया जाएगा। स्लॉट के हिसाब से ही एंट्री मिलेगी। ऐसा कर संक्रमण रोकने की व्यवस्था में लगे हैं। इसके अलावा मास्क, सैनिटाइज और ऑक्सीजन लेवल चेक तो किया ही जाएगा। उन्होंने बताया कि जिम दो फ्लोर में करते हुए मेंबर को बांटा जा रहा है। एक स्लॉट पूरा होने के बाद पूरे जिम को सैनिटाइज किया जाएगा। इसके बाद अगले स्लॉट की एंट्री होगी।

उन्होंने बताया कि कोरोना के कारण लोगों को फिर से जिम तक लाना सबसे बढ़ी चुनौती होगी। उनका आत्मविश्वास इतनी जल्दी वापस नहीं आने वाला है। धीरे-धीरे ही वे जिम की ओर कदम बढ़ाएंगे, क्योंकि अभी भी कोरोना गया नहीं है। कंपनी वैसे भी काफी नुकसान में है। कर्मचारियों की सैलरी नहीं होने से वे वापस अपने घर जा चुके हैं। उन्हें वापस लाना और फिर से जिम को सुचारू बनाना।

पूरी तरह से फिटनेस इंडस्ट्री को उठने में 6 महीने का समय कम से कम लगेगा। पिछले चार दिन से सैनिटाइजेशन काम किया जा रहा है। जिम को सुचारू चलने में एक सप्ताह का समय लगेगा। अनलॉक के समय यहां साढ़े 6 से मेंबर थे। अब देखते हैं, कितने लोग लौटते हैं।

किराया नहीं भर पाने से कई जिम बंद हुए
जिम संचालकों के अनुसार इंदौर में छोटे बड़े जिम मिलाकर साढ़े 400 से ज्यादा सेंटर हैं। कोरोना के चलते पिछले दो साल से यहां काम करने वाले 10 हजार से ज्यादा ट्रेनरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा होता आया है। जिम संचालकों की भी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है, कई लोगों ने तो जिम में ताला तक लटका दिया है। उनका कहना था कि लाखों रुपए की मशीनें पिछले दो महीने से धूल खा रही थीं।

इनमें से कई मशीनें तो काफी महंगी हैं। कुछ की सर्विस के लिए तो विदेशों तक से मदद मांगी जाती है। इनको फिर से शुरू करने में करीब-करीब एक सप्ताह का वक्त तो लग ही जाएगा। शहर में करीब 90% जिम किराए की बिल्डिंग में चलते हैं। कई जगह किराया नहीं मिलने से मकान मालिक सपोर्ट नहीं कर रहे थे।

10 हजार परिवारों के सामने खड़ा था रोजी-रोजी का संकट
2 जून को ही जिम संचालकों के एक प्रतिनिधि मंडल ने प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट से मिला था। उन्होंने जिम खोलने का आग्रह करते हुए बताया था कि इंदौर शहर के करीब 10 हजार से अधिक परिवारों का पालन-पोषण इसी व्यवसाय से होता है।

उनका कहना था कि कोरोना से कई लोग संक्रमित हुए, कई की जान भी गई। रिसर्च में यह पाया गया कि इस बीमारी से लड़ने के लिए व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होना चाहिए। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आहार के साथ व्यायाम जरूरी है। ऐसे में जिम संचालकों ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में योगदान दिया है।

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