हापुड़ मॉब लिंचिंग मामला: 10 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा

उत्तर प्रदेश की एक सत्र अदालत ने मंगलवार (12 मार्च) को 45 वर्षीय कासिम की हत्या और गोहत्या की झूठी अफवाह पर 62 वर्षीय समीउद्दीन पर हमले से संबंधित 2018 के हापुड लिंचिंग मामले में दस लोगों को दोषी पाया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हापुड की अदालत ने सभी 10 दोषियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302/149, 307/149, 147, 148 और 153ए के तहत दोषी ठहराया। उन्हें आजीवन कारावास और प्रत्येक को 58,000/- रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई।

गौरतलब है कि पीड़ितों ने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग नहीं की और कहा कि उन्हें आरोपियों से कोई दुश्मनी नहीं है और वे केवल न्याय चाहते हैं।

शिकायतकर्ता और पीड़ितों का प्रतिनिधित्व एडवोकेट वृंदा ग्रोवर, सौतिक बनर्जी, देविका तुलसियानी, हाजी यूसुफ कुरेशी (दिवंगत) और मोहम्मद फुरकान कुरेशी ने किया।

यह अपराध जून 2018 में हुआ था। कथित तौर पर पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में पीड़ित को जमीन पर घसीटते हुए दिखाने वाली तस्वीरें वायरल होने के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस ने ट्विटर पर माफी मांगते हुए कहा, “हापुड़ की घटना के लिए हमें खेद है” और जांच की जाएगी।

इसमें शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई।

जीवित बचे पीड़ित समीउद्दीन ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उचित जांच की मांग की। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मेरठ रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को मॉब लिंचिंग और घृणा अपराधों से संबंधित तहसीन पूनावाला फैसले में जारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया।

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