हरियाणा: निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा-जजपा उत्साहित

हरियाणा में पहले कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन हुआ और हाल ही में केंद्र की अग्निपथ योजना का विरोध भी हुआ। मगर निकाय चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा-जजपा उत्साहित है। इस चुनाव में जीत के लिए भाजपा ने ‘ट्रिपल इंजन’ का जो फॉर्मूला अपनाया, वो काफी हद तक काम कर गया। भाजपा अधिकतर सीटों पर मतदाताओं को यह समझाने में कामयाब रही कि यदि केंद्र से लेकर राज्य और वार्ड तक एक ही सरकार के इंजन होंगे तो निसंदेह संबंधित इलाकों में पटरी पर विकास की रफ्तार तेज ही रहेगी।

प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशियों समेत बड़े प्रचारक नेता भी मतदाताओं को यही फॉर्मूला समझाने में जुटे थे। नतीजतन जीटी रोड बेल्ट के छह जिलाें अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, करनाल और पानीपत के 14 नगर निकायों के चेयरमैन पदों में से नौ सीटों पर भाजपा (7) और जजपा (2) गठबंधन का कब्जा है। हालांकि तीन सीटों पर आजाद प्रत्याशी चेयरमैन बने हैं लेकिन इनमें से दो का झुकाव अंदरखाते सरकार की ओर ही दिख रहा है।

यही स्थिति वार्डों में पार्षदों के साथ भी बनी हुई है। जिन वार्डों में निर्दलीय प्रत्याशी पार्षद पद का चुनाव जीते हैं, उनमें से भी अधिकतर की आस्था सरकार के प्रति दिख रही है। कई जगह तो पार्षदों ने जीतते ही अपना समर्थन सरकार को देने की घोषणा तक कर दी है। इससे सरकार के उत्साह को और बल मिला है। हालांकि कांग्रेस ने किसी भी सीट से सिंबल पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था लेकिन चेयरमैन हो या पार्षद पद कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी चुनावी रण में थे।कांग्रेसी दिग्गज भी उनकी जीत के लिए पूरा जोर लगा रहे थे मगर चेयरमैन पद की केवल एक सीट (नारायणगढ़) छोड़कर सभी सीटों पर कांग्रेस समर्थित प्रत्याशियों को हार का मुंह देखना पड़ा। लिहाजा कांग्रेस को मौजूदा परिस्थितियों को भांपते हुए आगे के लिए मंथन करना पड़ेगा।

पंजाब चुनावों से उत्साहित आप ने भी चेयरमैन पद पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इस दल के पास यहां खोने के लिए तो भले ही कुछ नहीं था मगर स्थानीय चुनाव में जीत की जितनी उम्मीदें आप के दिग्गज नेताओं ने लगाई थीं, अपेक्षाकृत वो पूरी होती नहीं दिखी। आप के खाते में पंजाब बॉर्डर से सटे इस्माईलाबाद निकाय की केवल एक सीट ही आई। यहां आप की चेयरमैन निशा ने कड़े मुकाबले में जीत दर्ज की।इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) तो पहले से ही इस क्षेत्र में खुद को मुकाबले से बाहर रखकर चल रही थी। लिहाजा शुरूआती दौर से ही इस चुनाव को लेकर इनेलो खेमे में उदासीनता का माहौल था। जजपा ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। कुछेक सीटों पर भाजपा से टिकट न मिलने से खफा भाजपाई भी मैदान में उतरे थे। फिर भी चीका और शाहाबाद निकाय के चेयरमैन की सीट जजपा प्रत्याशियों ने जीती।

अब जीत के बाद सभी दल वोट के अंतर पर भी मंथन करने में जुट गए हैं। जीटी बेल्ट के इस क्षेत्र में पिहोवा से चेयरमैन का चुनाव भाजपा प्रत्याशी आशीष चक्रपाणि जहां सबसे कम 55 वोटों के अंतर से जीता, वहीं शाहाबाद सीट से जजपा प्रत्याशी ने सबसे अधिक 6556 मतों के अंतर से जीत दर्ज की।

मोदी की बधाई से बढ़ा उत्साह
स्थानीय निकाय चुनावों में भाजपा-जजपा गठबंधन की जीत पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बधाई से गठबंधन सरकार का उत्साह बढ़ गया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल भी नतीजों से उत्साहित दिखाई दे रहे हैं। भाजपा के इन दिग्गज नेताओं का मानना है कि यह जीत सरकार की विकास नीतियों पर जनता द्वारा विश्वास की मुहर लगाने जैसा है। इसके बाद प्रदेश में पंचायत चुनाव भी नजदीक हैं। गठबंधन सरकार अब पंचायत चुनाव के नतीजे भी पुख्ता चुनावी रणनीति के तहत अपने पक्ष में करने को बेताब है, क्योंकि उसके कुछ समय बाद ही तैयारी लोकसभा और विधानसभा चुनाव की करनी है।

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