बीमार अस्पतालों की सेहत !

अभी 14 अक्तूबर को उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक, जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं, ने फर्रुखाबाद के डॉ. राम मनोहर लोहिया जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। इस दौरान श्री पाठक को ज्ञात हुआ कि ढाई महीना पहले एनेस्थीसिया की डॉक्टर आगरा से स्थानान्तरित हो कर आई हैं किन्तु ड्यूटी पर केवल 17 दिन ही आई लेकिन बिना अनुमति के गैर हाज़िर हो गई। अनुपस्थिति के बावजूद वेतन पूरी अवधि का प्राप्त कर लिया।

इससे पूर्व 29 सितम्बर को अमरोहा अस्पताल के निरीक्षण के मध्य ऐसा ही मामला मिला था। इस पर डिप्टी सी.एम.ओ. डॉ. इंदूबाला को निलंबित किया गया था।

सरकारी अस्पतालों की हालत किसी से छिपी नहीं है। कुछ मास पहले श्री पाठक ने लखनऊ के केन्द्रीय मेडिकल स्टोर से करोड़ों रुपये मूल्य की एक्सपायर्ड औषधियां बरामद की थीं। सरकारी दवाइयों की चोरी की खबरें भी मिलती रहती हैं। रिश्वत व प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतें आम है। पिछले दिनों डाक्टरों के ट्रांस्फर-पोस्टिंग में बड़ा घोटाला अखबारों में चर्चा का विषय बना था। कुल मिला कर सरकारी अस्पतालों की ही नहीं, पूरे स्वास्थ्य विभाग की सेहत खराब है। इसका इलाज कौन कर रहा है या इसे लाइलाज छोड़ दिया गया है।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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