‘संविधान की हत्या का दिन कभी नहीं भूलेगा देश’: आपातकाल पर पीएम मोदी का तीखा हमला

नई दिल्ली। देश में 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्यायों में से एक था, जब संविधान और नागरिक अधिकारों को कुचल दिया गया था। उन्होंने कहा कि तत्कालीन सरकार ने लोकतंत्र को बंधक बनाकर रख दिया था।

संसदीय प्रणाली और न्यायपालिका को किया गया कमजोर

प्रधानमंत्री ने कहा कि उस दौर को कोई भारतीय कभी नहीं भूल सकता, जब संसद की आवाज को दबा दिया गया और न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश की गई। उन्होंने 42वें संविधान संशोधन को उस समय के मनमाने फैसलों का प्रतीक बताया। पीएम ने यह भी कहा कि इस दौरान गरीबों, दलितों और वंचितों को खासतौर पर प्रताड़ित किया गया और उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाई गई।

संघर्ष करने वालों को दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के कोने-कोने से, विभिन्न विचारधाराओं से जुड़े लोगों ने एकजुट होकर लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया। उन्होंने ऐसे सभी संघर्षशील लोगों को सलाम किया, जिनके अथक प्रयासों ने तत्कालीन सरकार को लोकतंत्र बहाल करने और आम चुनाव कराने के लिए बाध्य किया, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

गरीबों के सपनों को साकार करने की प्रतिबद्धता

पीएम मोदी ने कहा कि आज हम सब मिलकर संविधान में निहित मूल्यों को और मजबूत करने के लिए कार्य कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हम एक विकसित भारत का निर्माण करें, जहां गरीबों और वंचितों के सपनों को साकार किया जा सके।

आपातकाल में आरएसएस प्रचारक के रूप में अनुभव

उन्होंने याद किया कि जब आपातकाल लगा था, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक युवा प्रचारक थे। उस समय का संघर्ष उनके लिए एक गहन अनुभव था, जिसने उन्हें लोकतंत्र की रक्षा के महत्व को समझाया। पीएम ने बताया कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उस दौर की घटनाओं पर आधारित एक पुस्तक प्रकाशित की है, जिसकी भूमिका पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने लिखी है।

जनता से अनुभव साझा करने की अपील

प्रधानमंत्री ने नागरिकों से अपील की कि वे आपातकाल के दौरान के अपने या अपने परिवारों के अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें ताकि नई पीढ़ी उस दौर की वास्तविकता से परिचित हो सके और लोकतंत्र की महत्ता को समझ सके।

Read News: हिसार कृषि विश्वविद्यालय में छात्रों का आंदोलन समाप्त, कुलपति छह माह की छुट्टी पर भेजे गए

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here