UNSC में भारत की दो टूक- किसी देश को धमकाने के लिए ना हो अफगान जमीन का इस्तेमाल, वहां हालात बेहद नाजुक

अफगानिस्तान पर यूएनएससी डिबेट में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हमने पिछले महीने के दौरान अफगानिस्तान की स्थिति में नाटकीय बदलाव देखा है. उन्होंने कहा कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को पनाह देने में नहीं किया जाना चाहिए. इसके अलावा आतंकियों को ट्रेनिंग देने और आतंकवादी मंसूबों को कामयाब करने की योजना बनाने और उसकी फंडिंग के लिए भी इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.

काबुल हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले महीने काबुल हवाई अड्डे पर एक निंदनीय हमला देखा गया है. आतंकवाद अफगानिस्तान के लिए एक गंभीर खतरा बना हुआ है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि इस संबंध में की गई प्रतिबद्धताओं का सम्मान किया जाए और उनका पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि हमने उस बयान पर भी ध्यान दिया कि अफगान बिना किसी बाधा के विदेश यात्रा कर सकेंगे. हमें उम्मीद है कि इन प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाएगा, जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सेफ पैसेज देने की बात शामिल है.

अगस्त में तीन बार सुरक्षा परिषद ने की मीटिंग

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर सुरक्षा परिषद ने अगस्त में तीन बार बैठक की. विशेष रूप से, अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प (UNSCR) 2593 महत्वपूर्ण और तात्कालिक मुद्दों की एक सीरीज को लेकर परिषद की अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से निर्धारित करता है. अफगानिस्तान के पड़ोसी के रूप में हमें अफगानिस्तान पर परिषद की अध्यक्षता करने का सौभाग्य मिला. हमने कुछ सामूहिक चिंताओं को ध्यान में रखा है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद आतंकवाद के लिए अफगान भूमि के इस्तेमाल की इजाजत नहीं देगा.

अफगानिस्तान की स्थिति बेहद नाजुक

तिरुमूर्ति ने जोर देते हुए कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति अब भी बेहद नाजुक बनी हुई है. इसके तत्काल पड़ोसी और अपने लोगों के मित्र के रूप में वर्तमान स्थिति हमारे लिए सीधी चिंता की वजह है. अफगान लोगों के भविष्य के साथ-साथ पिछले दो दशकों में हासिल किए गए लाभों को बनाए रखने और निर्माण करने के बारे में अनिश्चितताएं बहुत ज्यादा हैं. हम अफगान महिलाओं की आवाज सुनने की जरूरत को दोहराते हैं. अफगान बच्चों की आकांक्षाओं को साकार करने, अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने और मानवीय सहायता तत्काल प्रदान करने का हम आह्वान करते हैं और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र और अन्य एजेंसियों को निर्बाध पहुंच प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं.

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