परमाणु हथियार बनाने पर ईरान बजिद – अमेरिका इजराइल करेंगे प्रतिरोध

ईरान का परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए अमेरिका और इजरायल के बीच बातचीत तेज हो गई है. इनका कहना है कि अगर ईरान 2015 में हुए परमाणु समझौते पर बात करने के लिए राजी नहीं हुआ, तो प्लान बी पर काम किया जाएगा. अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन (Antony Blinken) और इजरायल के विदेश मंत्री यायर लैपिड (Yair Lapid) ने कहा कि अमेरिका के समझौते से दोबारा जुड़ने के बाद अगर ईरान इसका पालन करने से इनकार करता है, तो उसे मनाने के लिए दोनों देश दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे.

उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि वे विकल्प क्या हो सकते हैं, लेकिन कई सारे गैर-राजनयिक विकल्प मौजूद हैं. ऐसा हो सकता है कि इनमें से किसी पर विचार किया जा रहा है (Iran Nuclear Deal Analysis). इनमें प्रतिबंध बढ़ाने से लेकर गुप्त या सैन्य कार्रवाई करना तक शामिल हैं. अमेरिका के बाइडेन प्रशासन का मकसद इस समझौते से खुद को दोबारा जोड़ना है. क्योंकि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साल 2018 में अमेरिका को इससे अलग कर लिया था. जिसके कारण अमेरिका की विदेश नीति से जुड़ा उद्देश्य अधूरा ही रह गया. जिसके बाद ईरान ने भी समझौते में शामिल शर्तों का उल्लंघन करना शुरू कर दिया. अब ऐसा माना जा रहा है कि वह जल्द ही परमाणु हथियार तैयार कर लेगा.

नई शर्तें रख सकता है ईरान

अमेरिका की वर्तमान सरकार दोबारा परमाणु समझौते से जुड़ना चाहती है लेकिन उसे डर है कि ईरान इस बार समझौता मानने के लिए नई शर्तें सामने रख सकता है. तो ऐसे में अगर कूटनीतिक वार्ता विफल होती है, तो आगे की स्थिति को किस तरह संभाला जाए, इसपर अभी से काम शुरू हो गया है (Iran Nuclear Deal and Israel). इजरायल कभी भी परमाणु समझौते के पक्ष में नहीं रहा है. साल 2015 में ओबामा प्रशासन के समय हुए इस समझौते का इजरायल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भी मुखर होकर विरोध किया था.

अब्राहम समझौते का करेंगे विस्तार

ब्लिंकन और लैपिड ने संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री के साथ एक संयुक्त न्यूज कॉन्फ्रेंस की है. तीनों देश ‘अब्राहम समझौते’ का विस्तार करने की कोशिश करने के लिए भी सहमत हुए हैं, ये समझौता डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में हुआ था, जिसका मकसद इजरायल और संयुक्त अरब अमीरात (UAE Isreal Relations) सहित दूसरे अन्य अरब देशों के बीच संबंधों में सुधार करना है. बयान ऐसे समय पर दिया गया है, जब ईरान ने हाल ही में कहा है कि वह वियना में अमेरिका के साथ अप्रत्यक्ष वार्ता करने को तैयार है. ईरान ने अपनी परमाणु गतिविधियों की सीमाओं को तोड़ना जारी रखा है, जो इस समझौते से बाधित थीं.

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