झारखंड संकट: यूपीए का डेलिगेशन राजभवन पहुंचा

झारखंड में सियासी संकट के बीच बड़ी खबर आ रही है। बताया जा रहा है कि UPA प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात करने राजभवन पहुंच गया है। वहीं सूत्रों के हवाले से जानकारी यह भी आ रही है कि इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा भी दे सकते हैं। दरअसल, हाल ही में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ के पद के मामले में अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजी थी। इसमें सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सलाह दी गई थी। हालांकि, राज्यपाल रमेश बैस ने अभी तक इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है।

यूपीए ने लगाया राज्यपाल पर खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देने का आरोप
एक संयुक्त बयान में यूपीए विधायकों ने कहा, क्या राजभवन समय बढ़ाकर (निर्णय को सार्वजनिक करने में) खरीद-फरोख्त को बढ़ावा देना चाहता है? … कानूनी सलाह क्या है जो वह लेने में सक्षम नहीं हैं? यह लोकतंत्र और लोगों का अपमान है।  बयान में राज्यपाल से राज्य को अराजकता की ओर धकेलने से बचाने का आग्रह किया गया। कहा गया कि “संविधान ने आपके कंधों पर आदिवासी-दलितों के अधिकारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी दी है। 

पढ़े क्या है पूरा मामला
बता दें कि  81 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन के 49 विधायक हैं। लाभ के पद के मामले में विधानसभा से मुख्यमंत्री की अयोग्यता की मांग करने वाली भाजपा की एक याचिका के बाद, चुनाव आयोग ने 25 अगस्त को राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेजा है। हालांकि चुनाव आयोग के फैसले को अभी तक आधिकारिक नहीं बनाया गया है, लेकिन चर्चा है कि चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है। भाजपा ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 (ए) का उल्लंघन करने के लिए हेमंत सोरेन की अयोग्यता की मांग की है, जो सरकारी अनुबंधों के लिए अयोग्यता से संबंधित है।

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