कैथल की बेटी दीपिका सांगवान दिल्ली में बनीं जज

नवरात्र में प्राइवेट बस एसोसिएशन के प्रधान रहे वीरेंद्र सांगवान के घर में मां भगवती की ऐसी कृपा हुई कि उनकी बेटी दीपिका को न्याय करने की शक्ति प्रदान कर दी। दीपिका का चयन दिल्ली में न्यायिक सेवाओं में बतौर न्यायाधीश के तौर पर हुआ है। इससे परिवार में खुशियों की लहर है। माता-पिता सहित दादी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। बेटी के जज बनने पर बधाई देने के लिए आसपास के लोगों सहित संबंधियों का तांता लगा रहा। दीपिका ने बताया कि उसकी दादी सहित माता-पिता की प्रेरणा विशेष तौर पर उसकी सफलता में सहायक बनी।

अंग्रेजी के अखबारों सहित अमर उजाला लगातार पढ़ा
सफलता के बाद दीपिका सांगवान ने बताया कि मिडिल क्लास परिवारों में सरकारी नौकरी का विशेष क्रेज है। वह अखबारों में जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के फैसले पढ़ती थी। अंग्रेजी के अखबारों सहित अमर उजाला लगातार पढ़ा है। उसने साइंस से 12वीं पास की। इसके बाद भी उसका सपना कानून की पढ़ाई करने का ही था।

उन्होंने कहा कि जब कुछ करने का ठान लिया जाए तो सौ प्रतिशत मेहनत भी करें। सफलता जरूर मिलती है। दीपिका ने कहा कि मुझे लगता है कि कानून के क्षेत्र में काफी कुछ करने की संभावनाएं हैं। सभी फील्ड से अलग इस क्षेत्र में काम करते हुए अन्य क्षेत्रों के लिए नियम बनाने, संसद में कानून बनने से लेकर सुप्रीम कोर्ट में उनके पालन तक पर उसकी नजर रहती थी।

सफलता पर उनकी दादी की आंखें भर आईं

इसी कारण उसने आर्मी इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ मोहाली में दाखिला लिया। यहां लॉ के अंतिम वर्ष में उसने जज बनने के बारे में सोचा। इसके लिए अंतिम वर्ष में ही तैयारी शुरू कर दी। सफलता पर उनकी दादी की आंखें भर आईं। वह बोलीं- आज मेरी बेटी की मेहनत सफल हुई है। तैयारी के समय वह दिल्ली में दीपिका के साथ करीब छह माह तक रही थीं।

बीच में जब कोविड आ गया तो वह घर आ गई थी। यहां माता-पिता सीमा रानी व वीरेंद्र सांगवान सहित उनकी दादी विद्या देवी ने खूब प्रेरित किया। उसने पहले हरियाणा व गुजरात में न्यायाधीश के लिए परीक्षा दी। साक्षात्कार तक सफलता हासिल की, लेकिन किन्हीं कारणों से चयन नहीं हो पाया। दीपिका ने कहा कि यदि आपके माता-पिता सपोर्टिव पैरेट्स (सहयोगी माता-पिता), पॉजिटिव फ्रेंड्स (ऊर्जायुक्त मित्र) और सेल्फ कॉन्फिडेंस (आत्मविश्वास) हो तो सफलता जरूर मिलती है। इसके बाद दिल्ली के लिए प्रयास किया। इसमें अब सफलता हासिल की है। इसके लिए कड़ी मेहनत व लगन ही मुख्य कारण है।

बेटी ने बचपन से ही जज बनने का फैसला लिया था

दीपिका के पिता वीरेंद्र सांगवान ने बताया कि वे पहले ढांड में रहते थे। बच्चों की अच्छी पढ़ाई के लिए वे कैथल में रहते हैं। बेशक यहां किराये के मकान में रहना पड़ा हो, बच्चों के लिए एजूकेशन लोन तक लेना पड़ा हो, वे पीछे नहीं हटे। बेटी ने बचपन से ही जज बनने का फैसला लिया था तो उसके हर फैसले में उसके साथ खड़े रहे। इस कारण आज नतीजा सामने है।

परिवार की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े
अन्य अभिभावकों के लिए संदेश में वीरेंद्र सांगवान ने कहा कि बच्चे पर विश्वास रखें। वो जो करना चाहें, उनको प्रोत्साहित करें। बेटियां भी आज कम नहीं हैं। बस जरूरत है, उनके साथ खड़ा होने की। दादी विद्या देवी ने कहा कि आज उसकी खुशी का ठिकाना नहीं हैं। दीपिका की मां सीमा देवी ने कहा कि बेटी हमेशा से कुछ करना चाहती थी। जो आज कर दिखाया। बात करते हुए परिवार की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।

युवाओं के लिए संदेश
दीपिका ने अन्य युवाओं के लिए संदेश में कहा कि जरूरी नहीं है कि शुरू से ही उद्देश्य बन जाए। बाद में भी बन जाता है, लेकिन जब कुछ बनने की ठान लें तो उसमें सफलता के लिए सौ प्रतिशत मेहनत करें। तभी आपको सफलता मिल जाएगी।

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