मंडाविया बोले- फार्मास्युटिकल हब के रूप में भारत को मिली मान्यता, हेल्थ क्षेत्र में निभा रहा अहम भूमिका

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि वैश्विक फार्मास्युटिकल हब के रूप में भारत मान्यता प्राप्त है। इसका उद्योग सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं के भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता के रूप में सेवा करके दुनियाभर में स्वास्थ्य परिणामों को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, टोक्यो में भारतीय दूतावास में जापानी फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों और जापान फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (जेपीएमए) के सदस्यों के साथ बातचीत के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने यह बात कही। इस दौरान जेपीएमए के महानिदेशक जुनिची शिराइस और प्रबंध निदेशक डॉ सचिको नाकागावा भी मौजूद रहे। । मंडाविया ने कहा भारत ने वैश्विक वैक्सीन आपूर्ति का लगभग 60 प्रतिशत और जेनेरिक निर्यात का 20-22 प्रतिशत प्रदान करके वैश्विक पहुंच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत ने लगभग 185 देशों को वैक्सीन की आपूर्ति की है। 

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि भारतीय दवा उद्योग ने मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं के निर्माण, थोक दवाओं के निर्यात और सक्रिय दवा सामग्री की आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने कहा, भारतीय दवा उद्योग में तीन हजार दवा कंपनियों और 10,500 विनिर्माण इकाइयों का नेटवर्क शामिल है। इसके 2030 तक 130 बिलियन अमरीकी डॉलर के मूल्य तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि फार्मास्युटिकल निर्माण के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए तीन बल्क ड्रग पार्क आ रहे हैं। फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने छह राष्ट्रीय फार्मास्युटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान स्थापित किए हैं। 

भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए वैश्विक दवा कंपनियों के लिए बेहतर अवसर 
भारतीय बाजार में बढ़ते अवसरों का लाभ उठाने के लिए जापानी कंपनियों को प्रोत्साहित करते हुए मंडाविया ने कहा कि भारत में दवा उद्योग विदेशी कंपनियों से बहुत अधिक निवेश आकर्षित कर रहा है और भागीदारी एवं सहयोग देख रहा है। भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए वैश्विक दवा कंपनियों के लिए रोमांचक अवसर हैं। भारतीय पारंपरिक दवाओं की बढ़ती मांग के बारे में सूचित करते हुए, मंडाविया ने कहा कि “सरकार ने पारंपरिक दवाओं और फाइटोफार्मास्यूटिकल्स को मुख्यधारा की सार्वजनिक प्रथाओं में एकीकृत करने के प्रयास शुरू किए हैं। भारत की समृद्ध जैव विविधता और वनस्पतियों और जीवों की प्रचुरता के साथ, फाइटोफार्मास्युटिकल उत्पादों को शामिल करने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा इन दवाओं को वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को मजबूत करना महत्वपूर्ण है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने सटीक दवा, सेल और जीन थेरेपी, जैविक उत्पादों और डिजिटल उपकरणों के उपयोग जैसी उभरती नवीन उपचारों और प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और नवाचार पर जापानी सहयोग को भी आमंत्रित किया।

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