मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में वरिष्ठ सर्जन डॉ. सुधीर राठी और उनकी टीम ने दो युवकों को सर्जरी कर लड़की बनाया है। डॉ. राठी ने दावा किया कि पश्चिमी यूपी के मेडिकल कॉलेज में पहली बार नई तकनीक से पुरुष से महिला बनाने के लिए सर्जरी की गई है, जो करीब 4 घंटे चली। सर्जरी कराने वालों में से एक मुजफ्फरनगर जिले से है और दूसरे का घर बिजनौर जिले में है। एक की अस्पताल से छुट्टी हो चुकी है, जबकि दूसरा अस्पताल में भर्ती है। दोनों की आयु क्रमश: 18 और 19 वर्ष है।
चिकित्सकों के अनुसार सर्जरी में बड़ी आंत का इस्तेमाल वैजाइना बनाने के लिए किया गया है। यह प्रक्रिया सिग्मॉइड वैजिनोप्लास्टी के रूप में जानी जाती है। बताया कि एक लड़की हिंदू तो दूसरी मुस्लिम धर्म को मानने वाली है। इनके परिवार को जब इनकी परेशानी का पता चला तो इन्होंने मेरठ मेडिकल कॉलेज में संपर्क किया और जिसके बाद उन्होंने और उनकी टीम ने प्रशासन से अनुमति की प्रक्रिया पूरी कर यह सर्जरी की।
बेटे और भाई की चाह में ‘वीना’ बन गई ‘वीनस’
माता-पिता के लिए बेटे और चार बहनों की भाई की चाह पूरी करने के लिए 20 साल की लड़की ने भी एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में लिंग पुनर्निर्धारण के लिए सर्जरी कराई है। मेडिकल प्रबंधन ने कानूनी आधार पर उसका नाम और पता सार्वजनिक नहीं किया है, इसलिए इस खबर में उसका काल्पनिक नाम वीना और वीनस लिखे गए हैं।
मेडिकल के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि मेरठ सिटी में रहने वाले इस परिवार ने सहमति के बाद इसकी कानूनी प्रक्रिया पूरी की। एक साल पहले प्रशासन से अनुमति ली गई। इस परिवार में पांच लड़कियां थीं, इसलिए परिवार ने सबसे बड़ी बेटी को लड़का बनाने का निर्णय लिया। बताया कि वह शुरू से रहती भी लड़कों की तरह ही थी। इनका लक्ष्य परिवार में बेटे और भाई की कमी को पूरा करना है। हालांकि इससे संतानोत्पत्ति नहीं हो पाएगी।
चार माह से चल रहीं थीं दवाइयां, 8 घंटे चला ऑपरेशन
सर्जरी करने वाले प्लास्टिक सर्जन डॉ भानु प्रताप सिंह एवं डॉ कनिका सिंगला ने बताया कि पिछले चार माह से लड़की की हार्मोनल दवाइयां और मनोचिकित्सक से काउंसिलिंग चल रही थी। दवाइयों से मर्दों जैसी आवाज और दाढ़ी आएगी। यह दवाइयां बाद में भी खानी पड़ेंगी। सर्जरी के लिए सर्जन डॉ सुधीर राठी और डा. धीरज राज समेत कई अन्य विशेषज्ञों का पैनल बनाया गया। इसके बाद बाएं हाथ से मोटी खाल निकालकर आठ घंटे के आपरेशन के बाद पतली नसों को जोड़कर लिंग रोपण कर दिया गया।
40 हजार रुपये आया खर्च
मीडिया प्रभारी डॉ वीडी पांडेय ने बताया कि इस सर्जरी और इलाज में करीब 40 हजार रुपये का खर्च आया। निजी अस्पताल में यह सर्जरी कराने पर पांच से छह लाख रुपये खर्च आता है।
डॉ. सुधीर राठी ने बताया कि लड़कों से लड़की बनने के बाद ये शादी कर सकती हैं, पर संतानोत्पत्ति नहीं हो पाएगी। लड़कियों में एक्सएक्स क्रोमोसोम होते हैं, जबकि लड़कों में एक्सवाई क्रोमोसोम।
सर्जरी से नई ऊंचाइयों पर कॉलेज
प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता का कहना है कि मेडिकल साइंस ने अब इतनी तरक्की कर ली है कि जो जिस तरह से जिंदगी जीना चाहिए जी सकता है। मेडिकल कॉलेज सर्जरी में नई ऊंचाइयां छू रहा है।
समाज में स्वीकार्यता है वजह
जिला अस्पताल के मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर कमलेंद्र किशोर का कहना है कि ज्यादातर केस में समाज में स्वीकार्यता के होते हैं। व्यक्ति जैसा रहना चाहता है उसी रूप में लोग उसको स्वीकार करें इसलिए भी इस तरह की सर्जरी कराई जाती हैं।
मेडिकल समस्या है तो सही, नहीं तो सामाजिक विकृति
समाजशास्त्री डॉ. मालती का कहना है कि अगर किसी को मेडिकल की समस्या है तो यह गलत नहीं है। अगर वह बिना किसी समस्या के सर्जरी कराकर लड़के से लड़की या लड़की से लड़का बनता है तो यह सामाजिक विकृति है। इससे सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ाएगा।