मुजफ्फरनगर दंगा: आठ साल में सिर्फ 7 दोषी करार, 1117 लोग जांच के बाद बरी

मुजफ्फरनगर दंगे के 8 साल पूरे हो गए हैं। 2013 में हुए इस दंगे को सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हर तरफ भयावह मंजर था। इस दंगे को लेकर कई तरह की जांच कमेटी बनाई गई। अब तक दर्ज 510 में से 175 मुकदमों में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। वर्तमान समय में देखे तो अब भी कोर्ट में 119 मुकदमें लंबित हैं। उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश खन्ना, भाजपा विधायक संगीत सोम आदि पर दर्ज मुकदमा समेत 77 के बिना ठोस कारण बताएं सरकार वापस भी ले चुकी है। 1117 लोगों के खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिले जिसके कारण उन्हें बरी कर दिया गया। मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर अब तक सिर्फ 7 लोगों को ही सजा हो सकी है।  

आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो इस दंगे में कुल 60 मौतें हुई थी और 40000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए थे। लेकिन यह सिर्फ अधिकारिक और सरकारी आंकड़े हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना कुछ और है। दरअसल, मामला शुरू हुआ मुजफ्फरनगर की जानसठ कोतवाली क्षेत्र के गांव कवाल से। 27 अगस्त 2013 को शाहनवाज और मलिकपुरा के सचिन गौरव की हत्या कर दी गई थी। यही कवाल कांड दंगे का मुख्य कारण बना। इसी दौरान नंगला मदौड़ में एक पंचायत बुलाई गई। पंचायत से लौटते वक्त कई जगह हमले करने का आरोप लगा। देहात क्षेत्र के गांव में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने लगी। हिंसा की आग धीरे-धीरे मुजफ्फरनगर का बुढाना और शामली क्षेत्र तक फैल गई। कई गांव इसकी चपेट में आने लगे। कई परिवार पलायन करने लगे। 

मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर 510 मुकदमे अलग-अलग थानों में दर्ज हुए थे। एसआईटी ने हत्या, रेप, हत्या के प्रयास, डकैती, आगजनी, तोड़फोड़ आदि धाराओं के 175 मुकदमे में कोर्ट में चार्जशीट दी थी। 165 में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई है जबकि 170 मुकदमे खारिज कर दिए गए थे। अभी तक सचिन गौरव हत्याकांड में ही आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। सरकार के 77 मुकदमे वापस लेने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट सवाल उठाते हुए दोबारा रिपोर्ट मांगी है। 

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