एनआरआई मतदाताओं को भी मिल सकती है पोस्टल बैलेट की सुविधा

चुनाव आयोग ने सर्विस वोटर को मिलने वाली पोस्ट बैलट सुविधा विदेशों में रहने वाले योग्य मतदाताओं को भी मुहैया कराने की तैयारी कर ली है. विधि मंत्रालय के विधायी सचिव को 27 नवंबर को लिखे पत्र में आयोग ने कहा है कि सर्विस वोटर के मामलों में इलेक्ट्रॉनिकली ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट सिस्टम (ईडीपीबीएस) की सफलता के बाद वह आश्वस्त है कि यह सुविधा विदेशी मतदाताओं को भी उपलब्ध कराई जा सकती है. 

असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव में यह सुविधा उपलब्ध कराने के लिए तकनीकी व प्रशासनिक रूप से पूरी तरह तैयार है. इन राज्यों में अगले साल अप्रैल-जून में चुनाव होने हैं.

आयोग ने कहा कि विदेश में रहने वाले भारतीय मतदाताओं से पोस्टल बैलट की सुविधा देने का अनुरोध प्राप्त हुआ है क्योंकि वह चुनाव के समय अपने क्षेत्र में मौजूद नहीं होते और इस उद्देश्य से भारत आना काफी महंगा पड़ता है. 

वहीं कई रोजगार, शिक्षा व अन्य प्रतिबद्धताओं के कारण ऐसा नहीं कर सकते. आयोग के अनाधिकृत आंकड़ों के मुताबिक, केवल 10 से 12 हजार विदेशी मतदाता ही अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ज्यादातर भारत आकर वोट डालने के लिए ज्यादा खर्च नहीं करना चाहते.

एक अनुमान के मुताबिक, विदेशों में करीब एक करोड़ भारतीय रहते हैं, जिसमें से 60 लाख लोग वोट देने की उम्र में होंगे, इसलिए चुनाव परिणामों में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है.

ईटीपीबीएस के तहत पोस्टल बैलट इलेक्ट्रॉनिकली डिस्पैच हो जाता है और साधारण डाक से वापस हो जाता है. विदेश में रह रहे मतदाताओं को ये सुविधा देने के लिए सरकार को सिर्फ कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स 1961 में संशोधन करने की जरूरत है. इसे संविधान की मंजूरी जरूरी नहीं है.

कानून मंत्रालय द्वारा प्राप्त किए गए आयोग के प्रस्ताव के मुताबिक, पोस्ट बैलट के जरिये वोट देने के इच्छुक एनआरआई को चुनाव की घोषणा के कम से कम पांच दिन बाद रिटर्निंग ऑफिस (आरओ) को इसकी जानकारी देनी होगी. इस तरह की सूचना मिलने के बाद आरओ द्वारा बैलट पेपर को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेज दिया जाएगा.

इसके बाद एनआईआर वोटर को इसमें अपनी पसंद के निशान पर टिक मार्क करके वापस भेजना होगा. इसके साथ ही वोटर को एक घोषणा-पत्र भी भेजना होगा, जो कि भारतीय उच्चायोग द्वारा नियुक्त एक ऑफिसर द्वारा अटेस्ट किया गया होगा.

बता दें कि साल 2014 में पहली बार चुनाव आयोग ने एनआरआई को वोट डालने की मंजूरी देने के प्रस्ताव को संज्ञान में लिया था. राजनीतिक दलों में एनसीपी ने इसके प्रति पूरा समर्थन दिया था. वहीं बसपा, बीजेपी और सीपीआई का कहना था कि समयसीमा के चलते पोस्टल बैलट सही विकल्प नहीं है. कांग्रेस पोस्टल बैलट को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भेजने के पक्ष में नहीं थी.

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